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कर्नाटक हिजाब केस, हाई कोर्ट बोला , निजी भावनाओं से ऊपर है कानून, संविधान ही हमारी भगवद्गीता

बेंगलुरु (मानवीय सोच) कर्नाटक में हिजाब का मामला अब कॉलेज के अलावा अन्य जगहों पर भी पहुंच गया है और धार्मिक उन्माद का रूप ले रहा है। कर्नाटक के पीईएस कॉलेज में जब एक लड़की हिजाब पहनकर पहुंची तो भगवा गमछा पहने कुछ लोगों ने उसे घेर लिया। तभी दोनों तरफ से नारेबाजी शुरू हो गई। इसी मामले में चार याचिकाओं को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट सुनवाई भी कर रहा है।

कोर्ट बोला- संविधान ही हमारी भगवद्गीता

मंगलवार को याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि अदालत किसी की अपनी भावनाओं के हिसाब से नहीं बल्कि संविधान के हिसाब से चलेगा। संविधान ही कोर्ट के लिए गीता है। उन्होंने कहा कि जो भी फैसला किया जाएगा वह सभी याचिकाओं पर लागू होगा।

वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील देवदत्त कामत ने कहा, हिजाब पहनना मुस्लिम कल्चर का अहम हिस्सा है। इसके बाद ऐडवोकेट जनरल ने कहा, कॉलेजों को यूनिफॉर्म चुनने के लिए स्वतंत्रता दी गई है। जिन छात्रों को भी कोई परेशानी है उन्हें कॉलेज डिवेलपमेंट कमिटी से संपर्क करना चाहिए।

कैसे शुरू हुआ था विवाद?

बता दें कि कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब उडुपी में कुछ छात्राओं को हिजाब पहनने की वजह से क्लास में एंट्री नहीं दी गई थी। कॉलेज का कहना था कि यहां पर एक यूनिफॉर्म लागू है तो अलग ड्रेस पहनकर आने वाले लोगों को कॉलेज में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन लड़कियों ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। उनका तर्क है कि इस तरह से हिजाब न पहनने देना मौलिक अधिकारों का हनन है और आर्टिकल 14 और 25 का उल्लंघन है।

लड़कियों ने पहले कर्नाटक के कुंडापुरा कॉलेज के सामने धरना देना शुरू किया था। इसके जवाब में कुछ हिंदू संगठन भी उतर आए और वे कहने लगे कि हिंदू लड़कों को कॉलेज में भगवा गमछा लेकर जाना चाहिए।

 

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