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# चीन के साथ लड़ाई में हमीरपुर के दो लाल हुए थे शहीद, 37 साल बाद भी नहीं मिल पाया पार्थिव शरीर

हमीरपुर : (मानवीय सोच) भारत और चीन के बीच 1962 युद्ध में उत्तर प्रदेश के हमीरपुर के दो सैनिकों ने बहादुरी से मोर्चा लेते हुए दुश्‍मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। भीषण युद्ध के बीच सीमा पर भारत का तिरंगा फहराते हुए गोलाबारी में यहां के दोनों वीर शहीद हो गए थे। हैरत की बात यह है कि कई दशक बीतने के बाद भी आज तक एक शहीद का शव नहीं मिल सका। चीन की नापाक हरकत को लेकर यहां आज भी शहीदों के परिजनों और रिटायर्ड सैनिकों में आक्रोश है।

मझगवां थाना क्षेत्र के मलेहटा गांव फौजियों का बड़ा गढ़ माना जाता है। इस गांव से सैकड़ों लोग आर्मी में सेवा दे चुके हैं। मौजूदा समय में दो दर्जन से अधिक लोग देश की सीमा की रक्षा के लिए मुस्तैद हैं। गांव के तमाम ऐसे परिवार हैं जिन्‍होंने भारतीय सेना में रहते हुए देश की सुरक्षा के लिए बड़ी कीमत चुकाई है। गांव निवासी रिटायर्ड फौजी हरी सिंह ने बताया कि बड़े भाई प्रकाश सिंह ने भारत और चीन के युद्ध में दुश्मन सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। गोलीबारी में वह शहीद हो गए थे। भारतीय सेना आज तक भाई का शव नहीं ढूंढ पाई है।

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