छत्तीसगढ़ (मानवीय सोच) ईसाइयों के लिए काम करने वाले यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) ने दावा किया है कि साल 2022 में 45 दिन में इस समुदाय के खिलाफ हिंसा के 53 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम की ओर से यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। केंद्र सरकार से अपली करते हुए यूसीएफ ने मंगलवार को कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में ईसाइयों की आबादी 2.3 फीसदी है।
यूसीएफ ने सभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की अपील भी किया है। यूसीएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2022 में दर्ज किए गए मामलों में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर हैं। छत्तीसगढ़ में 12 घटानाएं दर्ज हुई हैं। इसके बाद 10 घटनाओं के साथ तमिलनाडू दूसरे नंबर पर और फिर मध्य प्रदेश में आठ और उत्तर प्रदेश में सात घटनाएं देखने को मिली हैं।
सभी अल्पसंख्यकों की ओर से यूसीएफ ने मांग की कि हेट क्राइम के मामलों को बेहतर ढंग से संभालने के लिए पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील होना चाहिए। इसके साथ-साथ संगठन ने पुलिस से सख्ती से निपटने और अपराधियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और मुआवजा देने की मांग की।
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम चलाने वाले एसी माइकल ने एचटी को बताया कि ईसाईयों के खिलाफ हिंसा एक झूठी स्टोरी कि ‘ईसाई लोगों को परिवर्तित करते हैं’ के कारण होती है, जो धार्मिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाती है। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य ने दावा किया लोगों का समूह (जो प्रार्थना करने वाले ईसाइयों पर हमला करते हैं) हमेशा स्थानीय पुलिस के साथ होते हैं। प्रार्थना करने वाले पादरी पर जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया जाता है।
बीजेपी प्रवक्ता और भारतीय क्रिश्चियन मंच के अध्यक्ष टॉम वडक्कन ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि इसके पीछे कोई राजनीतिक मंशा है। रिपोर्ट का समय भी संदिग्ध है क्योंकि इस समय चुनाव और कर्नाटक में हिजाब विवाद का दौर चल रहा है। लेकिन, (हिंदू) मंदिरों पर हमलों के बारे में कोई क्यों नहीं बोलता है।