निजीकरण का वरुण गांधी ने किया विरोध,

नई दिल्ली (मानवीय सोच) बीजेपी सांसद वरुण गांधी केंद्र सरकार को लेकर दिए गए बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं. वह ट्विटर पर आए दिन केंद्र सरकार को निशाना बनाते हुए कुछ न कुछ लिखते रहते हैं. इसी क्रम में वरुण गांधी ने एक बार फिर अपनी केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने बैंकों और रेलवे के निजीकरण के खिलाफ चिंता व्यक्त की और कहा कि इससे बड़ी संख्या में नौकरियों का नुकसान होगा.

निजीकरण का किया विरोध

41 वर्षीय वरुण गांधी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से बीजेपी के सांसद हैं. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि ‘केवल बैंक और रेलवे के निजीकरण से ही 5 लाख कर्मचारियों को ‘जबरन सेवानिवृत्त’ यानि बेरोजगार कर देगा. समाप्त होती हर नौकरी के साथ ही समाप्त हो जाती हैं, लाखों परिवारों की उम्मीदें.’

राहुल गांधी भी उठा चुके हैं सवाल

वहीं, इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं ने रेलवे में निजी लोगों को आमंत्रित करने के कदम पर सरकार की खिंचाई की थी. बता दें कि 1.3 मिलियन से अधिक कार्यबल के साथ भारत का ट्रेन नेटवर्क दुनिया में सबसे बड़ा है.

बैंकों के निजीकरण का भी हुआ था विरोध

हालांकि, पिछले साल केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि रेलवे का कभी भी निजीकरण नहीं किया जाएगा. देश में पिछले साल सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की सरकार की घोषणा को लेकर भी भारी विरोध हुआ था.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी निजीकरण को लेकर था घेरा 

उस समय कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था. इसका उद्देश्य गरीबों को बैंक से लाभ दिलाना था. आज ये बैंकों का एक-एक करके विलय कर रहे हैं. निजी क्षेत्रों को इसमें शामिल किया जा रहा है. यह कुछ लोगों को लाभान्वित करने का एक और प्रयास है.

पिछले हफ्ते भी वरुण गांधी ने किया था ट्वीट

वहीं, वरुण गांधी भी विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार को घेरने में लगे रहते हैं.  पिछले हफ्ते उन्होंने एक और ट्वीट किया था. इसमें लिखा था कि ‘विजय माल्या: 9000 करोड़, नीरव मोदी: 14000 करोड़ और ऋषि अग्रवाल: 23000 करोड़ रुपये. आज जब कर्ज के बोझ तले दबकर देश में रोज लगभग 14 लोग आत्महत्या कर रहे हैं, तब ऐसे धन पशुओं का जीवन वैभव के चरम पर है. इस महाभ्रष्ट व्यवस्था पर एक ‘मजबूत सरकार’ से ‘मजबूत कार्रवाई’ की अपेक्षा की जाती है.’

 

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