नई दिल्ली (मानवीय सोच) सुप्रीम कोर्ट ने इस साल सीबीएसई और कई अन्य बोर्ड की तरफ सेआयोजित की जाने वाली 10वीं और 12वीं कक्षा की ऑफलाइन बोर्ड परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से बुधवार को इनकार कर दिया। जस्टिस ए एम खानविल्कर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि ऐसी याचिकाओं से गलत उम्मीदें बंधती हैं और हर जगह भ्रम फैलता है। कोर्ट ने कहा कि छात्रों और अधिकारियों को उनका काम करने दें। बेवजह गफलत पैदा न करें।
याचिका में सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्ड को अन्य माध्यमों से परीक्षा लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्ड ने 10वीं और 12वीं के लिए ऑफलाइन परीक्षाएं कराने का प्रस्ताव दिया है। यानि बोर्ड की परीक्षाएं स्कूल परिसर में फिजिकल मोड पर होने जा रही हैं।
छात्रों ने ये याचिका अपनी वकील अनुभा श्रीवास्तव के जरिए दाखिल की थी। वो चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट भी हैं। छात्रों का कहना था कि सभी बोर्डों को कहा जाए कि वो रिजल्ट समय पर निकालें और विगत की चुनौतियों को देखते हुए इंप्रूवमेंट का एक मौका छात्रों को मुहैया कराएं। उनका कहना था कि कुछ स्टेट बोर्ड ने अपना टाइमटेबल जारी कर दिया है जबकि कुछ मौका की नजाकर को देख रहे हैं। छात्र उनके इस तरह के रवैये से परेशान हैं। उन्होंने करोना की वजह से पैदा हुई तकलीफों का हवाला दे कोर्ट से अपने साथ न्याय करने की अपील की।
सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए 26 अप्रैल से बोर्ड परीक्षाएं कराने का फैसला किया है। जबकि आईसीएसई ने परीक्षाओं पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। आज की सुनवाई में सीबीएसई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शिरकत की। छात्रों की तरफ से पेश वकील ने कहा कि कोरोना की वजह से क्लास भी ठीक तरीके से नहीं लग पाई हैं। चुनाव भी चल रहे हैं।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले में कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। बेंच ने याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये किस तरह की दलील है। अथॉरिटी को अपना काम करने दो। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि ये याचिका भ्रम पैदा करने वाली है। कोर्ट ने जुर्माना लगाते हुए याचिका को रद्द कर दिया।