बदायूं के राजकीय मेडिकल कॉलेज में इलाज के अभाव में बुधवार को हुई दस साल की बच्ची की मौत के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई। जांच रिपोर्ट के बाद प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार ने दो संविदा डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। वहीं, दो पूर्णकालिक डॉक्टरों को निलंबित किया गया है। मूसाझाग क्षेत्र के गांव थलिया नगला निवासी नाजिम की बेटी सूफिया के गले में संक्रमण हो गया था। वह बच्ची को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचा था।
तीन डॉक्टरों के कक्षों में जाने के बाद भी बच्ची को इलाज नहीं मिल पाया था और उसकी मौत हो गई थी। आरोप लगाया था कि डॉक्टर खेल प्रतियोगिता में व्यस्त थे। मामला शासन तक पहुंचा तो तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई। कमेटी की ओर से सौंपी गई जांच रिपोर्ट के मुताबिक ईएनटी के विभागाध्यक्ष डॉ. शलभ, इसी विभाग की डॉ. दिव्यांशी मौके पर नहीं थीं। लिहाजा दोनों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शर्मा व डॉ. इमरान को भी लापरवाही में निलंबित किया गया है। बृहस्पतिवार सुबह जब यह शासन तक पहुंचा तो जिम्मेदारों को तलाशा जाने लगा। शाम को मुख्यमंत्री की बैठक होनी थी। प्रशासनिक अधिकारियों को लग रहा था कि सीधे मुख्यमंत्री इस बारे में पूछ सकते हैं। लिहाजा तीन सदस्यीय कमेटी ने सात-आठ घंटे में ही जांच पूरी कर ली। प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार से लेकर अन्य डॉक्टर जो बुधवार को पूरे दिन घटना से अंजान बने रहे
बृहस्पतिवार को कुर्सी हिलती देख घटना को कबूल करने लगे। बच्ची के माता-पिता के यहां जाकर उनसे बात की गई। घटना के समय के सीसीटीवी खंगाले गए। स्टाफ के बयान लिए गए। रजिस्टर पर मरीजों के पंजीकरण का समय देखा गया। इसमें साफ हो गया कि घटना के दौरान चारों डॉक्टर अपने कक्ष में नहीं थे। इसके बाद देर शाम दो डॉक्टरों को बर्खास्त कर व दो को निलंबित कर शासन को रिपोर्ट भेज दी गई। तब अधिकारियों ने राहत की सांस ली।