लखनऊ (मानवीय सोच) राजधानी की वीआईपी सीट कही जाने वाली लखनऊ पूर्व भारतीय जनता पार्टी के लिए करीब तीन दशकों से सबसे सुरक्षित सीट मानी जा रही है। यहां तक कि एक प्रमुख राजनीतिक दल की कद्दावर नेता जब यहां से हार गईं तो उन्होंने कहा था कि…इस सीट से भाजपा जिसे भी लड़ा दे वह जीत जाएगा। यह सीट उनकी आरक्षित है। अब देखना यह है कि इस चुनाव में यहां के मतदाताओं का रूझान किस तरफ रहता है। क्या एंटी इनकंबेंसी का सिद्धांत कुछ बदलाव दिखाएगा।
पहली बार इस सीट से कांग्रेस के चन्द्र भानु गुप्ता विधायक बने थे। इसके बाद यह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के त्रिलोकी सिंह के खाते में गई। उसके बाद कांग्रेस के किशोरी लाल अग्रवाल के पास आई। 1967 में भारतीय जनसंघ का प्रभाव बढ़ा और राधेश्याम कपूर यहां से विधायकी जीत गए। इसके बाद फिर 1969 में यह सीट उनसे भारतीय क्रांति दल के बंस गोपाल शुक्ला ने छीन ली। सत्तर के दशक में कांग्रेस की कद्दावर व लोकप्रिय नेता स्वरूप कुमारी बख्शी ने इस सीट को अपने पास रखा। 1989 में जनता दल की आंधी में रविदास मेहरोत्रा यहां से चुनाव जीत गए। 1991 में भाजपा के भगवती प्रसाद शुक्ला ने चुनाव जीता जिसके बाद से यह सीट लगातार भारतीय जनता पार्टी के खाते में जाती रही।
वीआईपी क्यों है यह सीट
तीन बार सीएम रहे चन्द्रभानु गुप्ता इस सीट से विधायक रहे। बख्शी दीदी’ कही जाने वाली पूर्व कांग्रेस नेता स्वरूप कुमारी बख्शी लखनऊ-पूर्व से चार बार विधायक रहने के अलावा 1980-1989 तक प्रदेश सरकार में शिक्षा, गृह, समाज-कल्याण और संस्कृति मंत्री रहीं। वह इस सीट से 1974 से लेकर 1985 के चुनाव में विधायक चुनी गईं। वर्तमान राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, पूर्व में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल एवं सोलहवीं लोकसभा में सूक्ष्म एवं लघु उघोग मंत्री रहे है वह यहां से 2012 में विधायक चुने गए थे। मौजूदा समय कबीना मंत्री आशुतोष टंडन गोपाल जी भी लखनऊ पूर्व विधान सभा से विधायक हैं।
दलित वोटों पर कांग्रेस का दांव:-
कांग्रेस भी इस सीट का महत्व जानती है। नागरिकता कानून संशोधन के विरोध में जब बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज हुए तो महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा एसआर दारापुरी से मिलने स्कूटी से आईं। क्षेत्र लखनऊ पूर्वी विधान सभा ही था। स्कूटी पर सवार होकर इन्दिरा नगर तक पहुंचने का रास्ता पूरा इसी क्षेत्र में आता है। इसके बाद 2021 में एक बार फिर प्रियंका गांधी इसी विधान सभा क्षेत्र के इन्दिरा नगर से सटे लवकुश नगर की दलित बस्ती में आईं और झाड़ू लगाया। वजह यह भी है कि यहां दलित और अति पिछड़ों की संख्या 70 से 80 हजार है। यदि इनका वोट एक तरफ हो जाए तो बाकी पीछे रह जाएंगे।
सीट से दावेदार
बसपा ने आशीष कुमार सिन्हा को टिकट दिया है। आप ने आलोक सिंह को मैदान में उतारा है। कांग्रेस से मुकेश सिंह चौहान डॉक्टर आरसी उप्रेती व विकास श्रीवास्तव समेत 11 लोगों ने टिकट मांगा है। भाजपा से आशुतोष टंडन दिलीप श्रीवास्तव हीरो बाजपेई और ओमप्रकाश पांडे दावेदारी कर रहे हैं। सपा से राणा संकेत सिंह रामसेवक सिंह गौरव सिंह यादव शर्मिला महाराज यासिर अजहर सिद्दीकी प्रदीप सिंह ने आवेदन किया है।
पिछले चुनाव में 59.25 फीसदी मतदान हुआ
भाजपा के आशुतोष टंडन ने सपा कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी को 79, 230 मतों से हराया। आशुतोष टंडन को एक लाख 35 हजार 167 वोट मिले। अनुराग भदौरिया को 55 हजार 937 वोट मिले।
जातिगत समीकरण: –
कुल मतदाता 4 लाख 51 हजार 408
ब्राह्मण मतदाता 65 हजार
क्षत्रिय मतदाता 70 हजार
अनुसूचित जातियां 75 से 80 हजार
मुस्लिम 42 हजार
कायस्थ 35 हजार
यादव 25 हजार
सीट का इतिहास:-
1951 : कांग्रेस के चन्द्र भानु गुप्ता
1957 : प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से त्रिलोकी सिंह
1962 : कांग्रेस के किशोरी लाल अग्रवाल
1967: भारतीय जनसंघ के राधेश्याम कपूर
1969: भारतीय क्रांति दल के बंस गोपाल शुक्ला
1974: कांग्रेस की स्वरूप कुमारी बक्शी
1985 : कांग्रेस की स्वरूप कुमारी बक्शी
1989 : जनता दल से रविदास मेहरोत्रा
1991 : भारतीय जनता पार्टी के भगवती प्रसाद शुक्ला
1993 : भारतीय जनता पार्टी के भगवती प्रसाद शुक्ला
1996: भाजपा के विद्या सागर गुप्ता
2002 : भाजपा के विद्या सागर गुप्ता
2007: भाजपा के विद्या सागर गुप्ता
2012 : भाजपा के कलराज मिश्रा
2014: उपचुनाव, भाजपा से आशुतोष टंडन
2017 : भाजपा से आशुतोष टंडन
विधान सभा 173 ल. पूर्व
पुरुष मतदाता 237602
महिला मतदाता 213788
थर्ड जेंडर 18
कुल मतदाता 451408
विशेषता-
ट्रांसगोमती का बड़ा इलाका और इन्दिरा नगर जैसी बड़ी कालोनियां इस विधान सभा क्षेत्र में आती हैं। अम्बेडकर स्मारक जैसे प्रसिद्ध स्थल भी इसी इलाके में आता है।
2017 चुनाव में स्थिति-
विजयी उम्मीदवार पार्टी वोट दूसरे स्थान पर पार्टी वोट जीत का अंतर
आशुतोष टंडन भाजपा 135167 अनुराग भदौरिया कांग्रेस 55937 79,230