पिछले दस सालों के दौरान भारत ने ना केवल घरेलू मोर्चे पर चहुंमुखी विकास को कायम किया है बल्कि दुनिया में एक विकसित देश जैसी धाक जमाई है. तमाम मुल्कों के राष्ट्राध्यक्षों ने भारत की उभरती शक्ति को पहचाना और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को स्वीकार किया है. क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना उड़ान ने जिस तरह की सफलता हासिल की है, वह क्रांतिकारी कदम साबित हुआ है. इसे देश के आम नागरिकों को समर्पित किया गया है. इसका मकसद क्षेत्रीय हवाई संपर्क को सरल बनाना है. विभिन्न क्षेत्रों में भारत ने ऐसी ही प्रगति की है. भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग टोबगे ने एक इंटरव्यू में कहा कि दुनिया को भारत की जरूरत है. वहीं नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल रोमर ने भी माना दुनिया के मंच पर भारत की भूमिका अहम है, उन्होंने बायोमिट्रिक प्रणाली आधार को क्रांतिकारी पहल बताया.
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू ने बताया है कि सरकार ने क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना उड़ान को अगले 10 साल तक बढ़ाने का फैसला किया है. यह घोषणा उड़ान योजना के 8 साल पूरे होने पर दिल्ली में की गई. इस योजना के तहत अब तक 601 मार्गों और 71 हवाई अड्डों का संचालन किया जा चुका है. इसकी शुरुआत 21 अक्तूबर, 2016 को की गई थी. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा- कुल 86 हवाई अड्डे (71 हवाई अड्डे, 13 हेलीपोर्ट और 2 जल हवाई अड्डे) चालू हो गए हैं. इससे 2.8 लाख से अधिक उड़ानों में 1.44 करोड़ से अधिक यात्रियों को सुविधा मिल रही है. इसी के साथ भारत में हवाई अड्डों की संख्या 2014 में 74 से बढ़कर 2024 में 157 हो गई है. साल 2047 तक इसका लक्ष्य 350-400 है.