उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन लखनऊ में प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना की गरिमामयी उपस्थिति में 14 करोड़ 65 लाख की लागत से 8 विकास कार्यों का शिलान्यास किया। इनमें राजभवन के उच्च प्राथमिक विद्यालय का कायाकल्प, छतों पर चाइना मोजैक का कार्य, अग्निशमन प्रणाली का उन्नयन, विभिन्न भवनों की छतों पर रूफ टॉप सोलर पैनल, किचन का जीर्णोद्धार, गांधी सभागार में नई वातानुकूलन तकनीकी और विद्युत डी0जी0 सेट की आपूर्ति और स्थापना जैसे कार्य शामिल हैं। शिलान्यास कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल जी ने आज सौभाग्यपूर्ण लाभ पंचमी की शुभकामनाएं देते हुए इस अवसर पर इन कार्यों के शुभारंभ पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अच्छी मंशा से किया गया कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होता है।
राज्यपाल जी ने सभी निर्माण कार्यों को समयबद्धता और उच्च गुणवत्ता से करने एवं उनकी नियमित समीक्षा और समय पर मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। इनमें विशेष रूप से राजभवन परिसर में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय की जर्जर कक्षाओं को स्मार्ट कक्षाओं में बदलने का कार्य शामिल है। उन्होंने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और आधारभूत संरचनाओं की गुणवत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यहां पढ़ने वाले विद्यार्थी संस्कारवान बनें, आधुनिक तकनीक का उपयोग करें और अपने भविष्य के निर्माता स्वयं बने। राज्यपाल ने कहा कि संकल्प और समर्पण भाव से कार्य करने से किसी भी परियोजना को निर्धारित समय से पहले पूरा किया जा सकता है। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित उच्च अधिकारियों को नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का भ्रमण करने की भी सलाह दी और उसकी तकनीक तथा डिजाइन को प्रेरणादायक बताया।
प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने राज्यपाल के बहुआयामी और रचनात्मक सोच की सराहना करते हुए उन्हे एक ऐसा व्यक्तित्व बताया जो राज्य और समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहा कि राजभवन को लगातार सुविधाजनक एवं आकर्षक बनाने में राज्यपाल का योगदान अनुकरणीय है। राज्यपाल के प्रयासों से राजभवन का रूप, सौंदर्य और आकर्षण बढ़ा है। उन्होंने कहा कि नये भवन बनाना आसान है लेकिन पुराने भवनों को न केवल बनाए रखना बल्कि उन्हें सजाना और संवारना एक कठिन कार्य है, इसके लिए रचनात्मक सोच की आवश्यकता होती है। उन्होंने राजभवन के जनकक्ष और अन्य महत्वपूर्ण कक्षों में की गयी सजावट की भी सराहना की। राज्यपाल जी के कार्यकाल को ऐतिहासिक और अनुकरणीय बताते हुए उन्होंने कहा कि माननीया के कार्यों ने एक पद्चिन्ह छोड़ा है, जिसे आने वाली पीढ़ियां अनुसरण करेंगी।