लखनऊ : (मानवीय सोच) एसिडिटी की समस्या तेजी से बढ़ रही हैं। हालिया शोध के सर्वेक्षण में 10.7% लोगों को GERD यानी गैस्ट्रो एसोफेगल रिफ्लेक्स डिजीज की समस्या मिली।हैरान करने वाली बात यह हैं कि ज्यादातर मरीजों में यह समस्या लगातार बनी हुई हैं। यही कारण हैं कि एक्सपर्ट चिकित्सक खुद से एसिडिटी का इलाज करने से बचने की सलाह देते हैं।
लखनऊ के एक निजी होटेल में हील फाउंडेशन की और से एसिडिटी के कारण और निवारण विषय पर कार्यशाला में इसकी जानकारी KGMU के फीजियोलाजी के विभाग के एचओडी डा. नरसिंह वर्मा ने दी। उन्होंने कहा कि कि खराब जीवनशैली, नींद से संबंधित गड़बड़ियां, काम का नियत समय पर न होना और खानपान की गलत आदतें एसिडिटी का प्रमुख कारण हैं। जंक फूड और मसालेदार भोजन से परहेज करें।
मेदांता अस्पताल के नेफ्रोलाजी और किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन विभाग के निदेशक डा. राज कुमार शर्मा ने कहा कि देश की 10 से 30 प्रतिशत आबादी गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) जैसी हाइपर एसिडिटी संबंधी समस्या से ग्रस्त है। इसमें भी उत्तर प्रदेश के मरीज सबसे अधिक हैं। रैनिटिडिन जैसी दवाएं एसिडिटी से तुरंत राहत देने के साथ पाचन तंत्र को भी नुकसान नही पहुंचाती हैं।