रात में सामान्य से ज्यादा पसीना आ रहा है। वजन में गिरावट हो रही है, बार-बार बुखार आ रहा है। यह लिंफोमा कैंसर के संकेत हो सकते हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज करने के बजाय डॉक्टर से मिलकर जांच करानी चाहिए। समय से कैंसर की पुष्टि होने पर इलाज से ठीक किया जा सकता है। यह जानकारी केजीएमयू हेमेटोलॉजी विभाग के डॉ. शैलेंद्र वर्मा ने विश्व लिंफोमा कैंसर दिवस जागरूकता दिवस पर साझा की।
उन्होंने बताया कि लिंफोमा कैंसर एक प्रकार से गांठों का कैंसर होता है। गर्दन, बगल, छाती व पेट में गांठ महसूस होने पर तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। गांठ की बयोप्सी जरूर कराएं। अक्सर टीबी जैसे लक्षण होने पर गलत इलाज शुरू हो जाता है, इससे संपूर्ण इलाज मिलने में देरी होती है। समय पर बीमारी की जानकारी होने पर निजात पाई जा सकती है। लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को यह दिवस मनाया जाता है।
केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि डॉक्टरों ने पाया है कि जो बच्चे बचपन में अंगूठा चूसते हैं उनमें यह समस्या कम पाई जाती है। 45 साल की उम्र पार कर चुके पुरुषों में लिंफोमा अधिक पाया जाता है। इसके अलावा जिन घरों में अधिक-भाई बहन होते हैं उनमें भी लिंफोमा होने का कम खतरा होता है। उन्होंने बताया कि इसे लेकर कुछ समय पहले शोध भी किया गया था। यह स्किन से लेकर नर्वस सिस्टम तक हो सकता है। इसका रिलेशन आंतों से भी होता है। यह शरीर में होने वाले लिंफनोड से भी जुड़ा होता है।