देश भर के वकीलों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वकीलों की सेवाएं उपभोक्ता संरक्षण कानून के दायरे में नहीं हैं. कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि वकीलों पर उनकी खराब सेवा या पैरवी के चलते कंज्यूमर कोर्ट में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि वकालत का पेशा बिजनेस और व्यापार से अलग है. इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव रोहित पांडेय ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है. लेकिन ऐसा नही है कि लापरवाही के बाद वकीलों पर कार्रवाई नही होती है. इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया है. हर राज्य में अलग-अलग संस्थाएं है. जो शिकायत मिलने पर कार्रवाई करती है. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि वकील कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट 1986 के दायरे में नहीं आते है बता दें कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया, दिल्ली हाइकोर्ट बार एसोसिएशन और बार ऑफ इंडियन लायर्स जैसी संस्थाओं ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के 2007 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें एनसीडीआरसी ने अपने फैसले में कहा था कि वकीलों की सेवाएं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के दायरे में आती है.
