विदेश मंत्री जयशंकर एससीओ बैठक में शामिल होने के लिए 15-16 अक्तूबर को पाकिस्तान दौरे पर रहेंगे। किसी भी भारतीय मंत्री का यह बीते नौ साल में पहला पाकिस्तान दौरा होगा। जब इसे लेकर विदेश मंत्री से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘यह (एससीओ बैठक) एक बहुपक्षीय कार्यक्रम है और मैं भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा के लिए नहीं जा रहा हूं। मैं सिर्फ बतौर शंघाई सहयोग संगठन के अच्छे सदस्य के तौर पर वहां जा रहा हूं। चूंकि मैं एक सभ्य और विनम्र व्यक्ति हूं तो मैं उसी के अनुसार व्यवहार करूंगा।’ आईसी सेंटर फॉर गवर्नेंस द्वारा प्रशासन पर आयोजित सरदार पटेल व्याख्यान में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्व गृह मंत्री सरदार पटेल की पाकिस्तान नीति की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘सरदार पटेल संयुक्त राष्ट्र में जाने के खिलाफ थे। उन्होंने जूनागढ़, हैदराबाद के मामले में भी इसका विरोध किया था। वह इस बात को लेकर बहुत साफ थे कि भारत को अपने मुद्दे को अन्य शक्तियों के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए। हम सभी के लिए दुख की बात है कि उनकी सावधानी को नजरअंदाज कर दिया गया। जो ‘जम्मू और कश्मीर प्रश्न’ के रूप में शुरू हुआ था, उसे सुविधाजनक रूप से भारत और पाकिस्तान प्रश्न में बदल दिया गया। मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने की उनकी अनिच्छा इस विश्वास से आई कि पाकिस्तान से सीधे निपटना बेहतर था, बजाय इसके कि पाकिस्तान को हेरफेर करने की अनुमति दी जाए। किसी भी अन्य पड़ोसी की तरह, भारत पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता है, लेकिन सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज करके नहीं। सरदार पटेल का भी यही मानना था कि यथार्थवाद हमारी नीति का आधार होना चाहिए।’
