हमारे वैदिक ऋषि सृष्टि के संरक्षण के लिए हमसे आश्वासन चाहते हैं कि हम मनुष्य के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए सम्पूर्ण चराचर जगत के विषय में विचार करें। हम सभी को मनुष्यों, जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों आदि को सम्मिलित करते हुए जैव विविधता के पूरे चक्र का संरक्षण करना पड़ेगा: मुख्यमंत्री।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि हमारे वैदिक ऋषि सृष्टि के संरक्षण के लिए हमसे आश्वासन चाहते हैं कि हम मनुष्य के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए सम्पूर्ण चराचर जगत के विषय में विचार करें। हम सभी को मनुष्यों, जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों आदि को सम्मिलित करते हुए जैव विविधता के पूरे चक्र का संरक्षण करना पड़ेगा। इसीलिए अर्थववेद में कहा गया है कि धरती हमारी माता और हम सब इसके पुत्र हैं। एक पुत्र के नाते हम अपनी जिम्मेदारियों का कितना निर्वहन कर रहे हैं, यह एक ज्वलन्त प्रश्न है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर ‘प्रकृति तथा सतत् विकास के साथ सामंजस्य’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी-2025 का उद्घाटन करने के पश्चात आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने ग्रीन बजट और जैव विविधता पर पुस्तिकाओं का विमोचन किया। जैव विविधता आधारित चित्रकला, निबन्ध लेखन व वाद-विवाद प्रतियोगिता के विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत तथा काॅर्बन क्रेडिट के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करने वाले पर्यावरणविदों को सम्मानित किया। इसके पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने विविध पर्यावरण उत्पादों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जैव विविधता का महत्व भारत से अधिक कोई अन्य देश नहीं समझ सकता। सनातन धर्मावलम्बी के घर में मांगलिक कार्याें पर शान्ति पाठ आयोजित किया जाता है। यह शान्ति पाठ केवल वहां रहने वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए नहीं होता, बल्कि इसकी शुरुआत द्यौ शान्तिः, अन्तरिक्ष शान्तिः, पृथ्वी शान्तिः, आपः शान्ति, वनस्पतयः शान्तिः आदि से होती है। अर्थात सम्पूर्ण चराचर जगत के कल्याण की कामना के साथ मांगलिक अनुष्ठान प्रारम्भ होता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जैव विविधता संरक्षण के विषय में वर्ष 1992 में वैश्विक पटल पर चर्चा की गयी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दुनिया को आश्वस्त किया कि वर्ष 2070 तक भारत नेट ज़ीरो के लक्ष्य को प्राप्त करेगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने का काम केवल सरकार के स्तर पर नहीं, बल्कि हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। जब पर्यावरण संरक्षण के सामूहिक प्रयास आगे बढ़ेंगे, तो उसके अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। जो व्यक्ति प्रकृति के जितना अधिक नजदीक रहेगा, वह स्वयं को उतना ही अधिक स्वस्थ महसूस करेगा।