प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं। इसी बीच, चीन और भारत के बीच दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर मतभेद और गहरे हो गए हैं।
चीन के भारत में राजदूत सू फेइहोंग (Xu Feihong) ने रविवार को कहा कि दलाई लामा के पास यह अधिकार नहीं है कि वह तिब्बती बौद्ध धर्म में जीवित बुद्ध (Living Buddha) के पुनर्जन्म की परंपरा को जारी रखने या रोकने का निर्णय लें। उन्होंने दावा किया कि यह परंपरा 700 वर्षों से चली आ रही है और यह किसी एक व्यक्ति पर आधारित नहीं है।
> जीवित बुद्ध के पुनर्जन्म की प्रक्रिया दलाई लामा से पहले भी होती थी और उनके बाद भी जारी रहेगी। इसे रोकने या बदलने का अधिकार केवल उनके पास नहीं है, – सू फेइहोंग ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा।
चीन की शर्तें:
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि तिब्बती धर्मगुरुओं के पुनर्जन्म की प्रक्रिया स्वर्ण कलश से लॉटरी निकालने और बीजिंग की स्वीकृति से पूरी होती है। उन्होंने कहा कि चीन धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करता है, लेकिन धार्मिक परंपराओं पर सरकारी नियंत्रण भी जरूरी मानता है।
दलाई लामा की घोषणा:
14वें दलाई लामा ने घोषणा की कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी और उनके भविष्य के पुनर्जन्म को मान्यता देने का अधिकार केवल गदेन फोड्रंग ट्रस्ट को होगा।
भारत का समर्थन:
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह दलाई लामा की धार्मिक स्वतंत्रता और परंपरा के अनुसार उत्तराधिकारी तय करने के अधिकार का समर्थन करता है। भारत सरकार के इस रुख को चीन की ओर से आने वाले संभावित हस्तक्षेप के खिलाफ एक कूटनीतिक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है