मोटर यान एग्रीगेटर दिशा-निर्देश 2025 लागू, ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं पर केंद्र ने कसी नकेल
केंद्र सरकार ने ऐप आधारित टैक्सी और बाइक टैक्सी सेवाओं के लिए ‘मोटर यान एग्रीगेटर दिशा-निर्देश 2025’ (Motor Vehicle Aggregator Guidelines 2025) जारी कर दिए हैं। यह दिशानिर्देश यात्रियों की सुरक्षा, ड्राइवरों के अधिकारों और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं।
इन नए नियमों के तहत ओला, उबर, रैपिडो जैसी सेवाओं को अब केंद्र सरकार के पोर्टल से पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। साथ ही, राज्य सरकारों को इन दिशा-निर्देशों को आगामी तीन महीनों में लागू करना होगा।
मुख्य बिंदु:
लाइसेंसिंग और फीस
सभी एग्रीगेटरों को केंद्र सरकार के “Designated Portal” पर पंजीकरण कराना होगा।
नई लाइसेंस फीस ₹5 लाख तय की गई है।
सुरक्षा राशि ₹10 लाख से ₹50 लाख तक वाहन संख्या के अनुसार देनी होगी।
लाइसेंस की वैधता 5 वर्ष होगी।
किराया नियंत्रण
राज्य सरकारें आधार किराया तय करेंगी, जो न्यूनतम ₹0.5x से अधिकतम ₹2x तक सीमित होगा।
ड्राइवरों को स्वयं के वाहन पर कम से कम 80% किराये का हिस्सा मिलेगा।
बुकिंग रद्द करने पर ₹100 या 10% तक जुर्माना लगेगा।
ड्राइवर प्रशिक्षण और कल्याण
ऑनबोर्डिंग से पहले 40 घंटे का प्रशिक्षण आवश्यक।
सभी ड्राइवरों को ₹5 लाख का स्वास्थ्य बीमा और ₹10 लाख का टर्म इंश्योरेंस अनिवार्य।
पुलिस वेरिफिकेशन, मनोवैज्ञानिक जांच और यातायात नियमों का अनुपालन अनिवार्य।
यात्री सुरक्षा उपाय
हर यात्रा के लिए ₹5 लाख का यात्री बीमा जरूरी।
ऐप में लाइव लोकेशन, पैनिक बटन, और बहुभाषी सपोर्ट होगा।
CERT-In से ऐप सुरक्षा प्रमाणन आवश्यक।
वाहन मानक और फिटनेस
वाहन अधिकतम 8 साल पुराने होंगे।
VLTD, फायर एक्सटिंग्विशर और फर्स्ट ऐड किट अनिवार्य।
फर्जी दस्तावेज़ या असुरक्षित वाहन मिलने पर लाइसेंस रद्द हो सकता है।
निगरानी और दंड
प्रत्येक एग्रीगेटर को शिकायत अधिकारी नियुक्त करना होगा।
शिकायत निवारण समय सीमा 3 दिन रखी गई है।
उल्लंघन पर ₹1 लाख से ₹1 करोड़ तक का जुर्माना और लाइसेंस निलंबन संभव।
ई-वाहनों और बाइक टैक्सी को बढ़ावा
निजी बाइक टैक्सी सेवाओं को वैधता दी गई है।
राज्यों को इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता देने के निर्देश।
🗣 क्या बोले विशेषज्ञ?
परिवहन विशेषज्ञों का मानना है कि ये दिशा-निर्देश देश की राइड-शेयरिंग सेवाओं को सुरक्षित, जवाबदेह और ड्राइवर-अनुकूल बनाएंगे। इससे यात्रियों को भी बेहतर अनुभव मिलेगा और उद्योग में पारदर्शिता बढ़ेगी।