नई दिल्ली (मानवीय सोच) बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्पलॉयीज फेडरेशन यानी बामसेफ ने 25 मई को भारत बंद का आह्वान किया है। बुधवार को होने वाले इस आंदोलन को जातीय जनगणना की मांग के लिए बुलाया गया है। इसे लेकर बिहार समेत कई राज्यों से पहले ही मांग उठती रही है, लेकिन अब तक केंद्र सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। ओबीसी जातियों की गणना न कराने के खिलाफ यह आंदोलन बुलाया गया है। हालांकि इसका असर कितना होगा, इसे लेकर संदेह है। इसकी वजह यह है कि BAMCEF का देश भर में कोई बड़ा आधार नहीं है। इसके अलावा किसी बड़े राजनीतिक दल ने अब तक इसके समर्थन का ऐलान भी नहीं किया है।
बामसेफ के अध्यक्ष वामन मेश्राम ने कहा, ‘हमारे भारत बंद आंदोलन को राष्ट्रीय परिवर्तन मोर्चा, भारत मुक्ति मोर्चा, बहुजन मुक्ति मोर्चा और कई अन्य संगठनों ने समर्थन दिया है।’ उन्होंने कहा कि कुछ लोग हमारे बंद को लेकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। खासतौर पर ओबीसी समुदाय के लोगों को बरगलाया जा रहा है ताकि वे आंदोलन से न जुड़ सकें। भारतीय युवा मोर्चा ने आंदोलन की मांग को लेकर कहा कि हमारी मुख्य डिमांड यही है कि जनगणना में जातियों की संख्या को गिनने की बात भी शामिल की जाए। इसे लेकर केंद्र सरकार फैसला लेने से बच रही है।
कहा जा रहा है कि इस भारत बंद के दौरान कुछ और मांगों को भी उठाया जाएगा। इनमें चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल न करना, जातीय जनगणना कराना, निजी सेक्टर में एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण प्रदान करना, किसानों को एमएसपी की गारंटी देना और सीएए एवं एनआरसी को लागू न करने की मांग शामिल है। यही नहीं एक बार फिर से पुरानी पेंशन स्कीम, ओडिशा और मध्य प्रदेश में भी पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू करने की भी मांग की जा रही है। आदिवासियों के संरक्षण, कोरोना टीकाकरण को वैकल्पिक करने और लेबर लॉ को मजबूत करने की मांग भी उठाई जा रही है। ट्विटर पर भी ‘कल भारत बंद रहेगा’ ट्रेंड रहेगा।