लखनऊ (मानवीय सोच) डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विवि (एकेटीयू) के कुलपति प्रो. पीके मिश्रा ने शुक्रवार को लखनऊ स्थित सम्बद्ध निजी संस्थानों के निदेशकों के साथ बैठक की। बैठक का उद्देश्य निजी सम्बद्ध संस्थानों की समस्याओं से अवगत होना तथा विश्वविद्यालय की बेहतरी के लिए उनके सुझाव प्राप्त करना रहा।
इस अवसर पर संस्थानों के निदेशकों ने जो सबसे अहम मुद्दा उठाया वह ये कि निजी कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटा बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया जाए। निदेशकों का तर्क था कि वर्तमान में प्रवेश जेईई के माध्यम से हो रहे हैं। सीटें काफी ज्यादा खाली रह जा रही हैं। ऐसे में सीधे प्रवेश के लिए मैनेजमेंट कोटे को 50 प्रतिशत कर दिया जाए तो बेहतर होगा। विवि कुलपति प्रो. मिश्रा ने कहा कि सभी बिंदुओं पर विचार किया जाएगा। मैनेजमेंट कोटे को 50 प्रतिशत करने के सम्बन्ध में उचित निर्णय के लिए शासन से बात की जाएगी।
यह सुझाव भी दिया गया कि संस्थानों में 20 प्रतिशत ऑल इंडिया कोटा के तहत प्रदेश के बाहर के विद्यार्थी भी प्रवेश लेते हैं। इन विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसे विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का लाभ दिलवाने के लिए विवि को नेशनल स्कॉलरशिप फॉर्म भरवाए जाने की पहल करनी चाहिए। साथ ही फार्मेसी में शोध को बढ़ावा देने के लिए इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की तरह ही प्रमोशन स्कीम शुरू किए जाने का सुझाव भी आया। कुछ संस्थानों के निदेशकों ने फिल्म और फैशन जैसे पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए पहल करने को कहा। इसके अलावा निदेशकों ने बताया कि वर्तमान में विभिन्न प्रकार के शुल्क भुगतानों के लिये विवि के पोर्टल पर पेमेंट के मात्र दो ऑप्शन हैं जिसमें चालान और ऑनलाइन बैंकिंग है। इसमें कार्ड और यूपीए पेमेंट के ऑप्शन भी जोड़े जाने चाहिए।
आईईटी ने कम्पनियों से किए एमओयू
इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईईटी) द्वारा अपने हितधारकों के साथ शुक्रवार को एक बैठक आयोजित की गई। प्रो. विनीत कंसल, निदेशक आईईटी, प्रो. अरुण तिवारी, प्रभारी प्लेसमेंट, डॉ. अजय प्रकाश, रेडक्यूब डिजिटल इंडिया प्रा. लिमिटेड, डॉ. एचएन सिंह- वीएचपीएस एंटरप्राइज, पंकज मुथे, अकादमिक कार्यक्रम प्रबंधक- क्विक टेक प्रा. लिमिटेड, डॉ. आलोक यादव, यंत्र बाइट्स फाउंडेशन और सुधांशु, परफेक्टिस एडुवेंचर प्राइवेट लिमिटेड ने अपने इंटर्नशिप कार्यक्रमों के माध्यम से विशेष रूप से आईईटी छात्रों के लिए रोजगार क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की अपनी योजनाओं पर चर्चा की। संस्थान ने इन कम्पनियों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए। निदेशक आईईटी ने कहा कि गुणवत्ता और मात्रा दोनों ही संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण हैं।