लू के थपेड़ों से झुलस रहीं फसलें

नौतपा बीतने के साथ ही अब तक भीषण गर्मी से राहत नहीं मिल रही है। लू के थपेड़ों से फसल भी प्रभावित है। विशेषज्ञों की मानें तो गर्मी के मौसम में सावधानी बरतकर फसल को बचाया जा सकता है। प्रदेश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में फसल का बड़ा महत्व है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा. खलील खान ने बताया कि धान की फसल में नर्सरी की बुवाई की जा रही है। ऐसे में अधिक तापमान से अंकुरण, जमाव प्रभावित होता है। ऐसे में किसानों को धान के नर्सरी की बुवाई एवं सिंचाई का कार्य शाम के समय ही करें। यदि प्रात: काल तक नर्सरी में पानी भरा हो तो पानी को खेत से निकाल दें। गन्ना की फसल में किल्ले निकलने की अवस्था चल रही है। तापमान अधिक होने के कारण फसल जल्दी सूखने लगती है, जिससे पौधों का विकास रुक जाता है और कीटों का प्रकोप बढ़ने लगता है।

ऐसे में खड़ी फसलों में 10 से 12 दिन के अंतराल पर शाम के समय हल्की सिंचाई करनी चाहिए। इसके साथ ही कीटनाशकों एवं रोगनाशी का छिड़काव करें। मूंग की फसल में फली बनने की अवस्था से दाना भरने की अवस्था चल रही है। लू के चलने से खेत में खड़ी फसल जल्दी पक जा रही है लेकिन दाना सिकुड़ रहा है। ऐसे में पैदावार कम हो जाती है। डा. खान ने बताया कि खड़ी फसल में हल्की सिंचाई कर उचित नमी बनाएं रखें और दोपहर में सिंचाई का काम मत करें। सूरजमुखी की फसल में इन दिनों परागण से बीज का विकास हो रहा है। तापमान बढ़ने से फसल जल्दी परिपक्व हो जाती है लेकिन दाने सिकुड़ जाता है। ऐसे में उपज कम होगी। किसानों को हल्की सिंचाई शाम को 8 से 10 दिनों के अंतराल में करनी चाहिए। खड़ी फसल में कीटनाशकों और रोगनाशी का छिड़काव करें।