114 वर्षीय मैराथन धावक फौजा सिंह का सड़क हादसे में निधन, आरोपी एनआरआई गिरफ्तार
दुनिया के सबसे बुज़ुर्ग और प्रेरणादायक मैराथन धावक फौजा सिंह का निधन एक दर्दनाक सड़क हादसे में हो गया। 114 वर्षीय फौजा सिंह को जालंधर के पास बीआस पिंड में एक तेज़ रफ्तार टोयोटा फॉर्च्यूनर SUV ने टक्कर मारी, जिसके बाद घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
हादसे का विवरण:
यह दुखद घटना 14 जुलाई 2025 को दोपहर लगभग 3:30 बजे घटी। फौजा सिंह रोज़ की तरह सैर के लिए निकले थे और जालंधर-पठानकोट हाइवे पार कर रहे थे। तभी तेज़ गति से आती सफेद रंग की टोयोटा फॉर्च्यूनर SUV ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। हादसे के तुरंत बाद आरोपी गाड़ी लेकर मौके से फरार हो गया। मौके पर मौजूद कुछ स्थानीय लोगों ने तुरंत उन्हें पास के अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वे बच नहीं सके।
कौन थे फौजा सिंह?
फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1911 को पंजाब के बीआस पिंड में हुआ था।
उन्होंने 89 वर्ष की उम्र में पहली मैराथन दौड़ में हिस्सा लिया और कई अंतरराष्ट्रीय मैराथनों में भारत का नाम रोशन किया।
उन्हें “Turbaned Tornado” के नाम से जाना जाता था।
2012 में लंदन ओलंपिक की मशाल रिले में भी शामिल हुए थे।
वे Ellis Island Honour और ब्रिटिश एम्पायर मेडल सहित कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त कर चुके थे।
अपनी फिटनेस और संतुलित जीवनशैली के लिए विश्वभर में प्रेरणा बने।
जांच और गिरफ्तारी:
पंजाब पुलिस ने मामले की गहन जांच करते हुए CCTV फुटेज, घटना स्थल पर खून के निशान, और वाहन के टूटे हेडलाइट अवशेष के आधार पर सफेद टोयोटा फॉर्च्यूनर SUV की पहचान की।
पुलिस ने 16 जुलाई को आरोपी एनआरआई युवक अमृतपाल सिंह ढिल्लों (उम्र 30 वर्ष) को जालंधर से गिरफ्तार किया। अमृतपाल हाल ही में कनाडा से भारत आया था और यह SUV कुछ हफ्ते पहले खरीदी थी।
पूछताछ में अमृतपाल ने बताया कि हादसे के वक्त उसे यह नहीं पता था कि वह फौजा सिंह जैसे प्रतिष्ठित व्यक्ति को टक्कर मारकर भाग रहा है। घटना के बाद वह गाड़ी छिपाकर लुधियाना भाग गया था।
नेताओं और समाज की प्रतिक्रिया:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि “फौजा सिंह जी का जीवन अनुशासन, साहस और प्रेरणा की मिसाल है। उनका जाना एक अपूरणीय क्षति है।”
पंजाब के मुख्यमंत्री ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और परिवार को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है।
खेल जगत, समाजसेवियों, फिटनेस प्रशिक्षकों और हजारों युवाओं ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
एक प्रेरणादायक जीवन का अंत
फौजा सिंह का जीवन इस बात का उदाहरण है कि उम्र कभी बाधा नहीं होती। उन्होंने यह साबित किया कि इच्छाशक्ति, मेहनत और अनुशासन से कोई भी उम्र में चमत्कार किया जा सकता है। उनका जाना केवल एक व्यक्ति का निधन नहीं, बल्कि एक युग की समाप्ति है।
🕯 श्रद्धांजलि:
“फौजा सिंह जी, आप दौड़ना सिखा गए — अब आपकी प्रेरणा आगे दौड़ेगी…”