नेशनल हेल्थ मिशन के तहत काम करने वाले एक लाख से अधिक कर्मचारी दबाव में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। उन्हें हमेशा नौकरी जाने का डर भयभीत करता रहता है। यह बातें संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ की तरफ से कहीं गईं हैं। संघ की तरफ से कहा गया है कि इसका ताजा उदाहरण राजधानी के जानकीपुरम नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में तैनात फार्मासिस्ट सचिन पाण्डेय हैं। जिनकी गुरुवार को ड्यूटी के दौरान स्वास्थ्य बिगड़ा और बाद में उनकी मौत हो गई। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत फार्मासिस्ट सचिन की तैनाती जानकीपुरम नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में थी। सचिन पाण्डेय 23 मई को अपने तैनाती स्थल पर कार्य करने गये थे, कि अचानक उनके दिल में दर्द हुआ।
बाद में उन्हे केजीएमयू के लॉरी ले जाया गया जहां उन्हें चिकित्सको ने मृत घोषित कर दिया गया। संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री योगेश उपाध्याय ने बताया कि सचिन के ऊपर मां, भाई, पत्नी और एक बेटी की पूरी जिम्मेदारी थी, जिनका पालन पोषण संविदा के नौकरी से कर रहे थे समय समय पर वित्तीय समस्या का सामना भी करना पड़ता था जिसके वजह से वह थोड़े परेशान से रहने लगे थे । संविदा नाम दलदल में वह ऐसे फसे थे जिससे वो उभर नही पाए। जिसका खामियाजा आज उनका परिवार भुगत रहा है। उन्होंने बताया कि संविदा के नाम पर जिस प्रकार शोषण हो रहा है उससे सभी पीड़ित हैं, कम वेतन के कारण वित्तीय असुरक्षा, नौकरी जाने का हमेशा डर बना रहता है। जिससे कर्मचारी मानसिक तनाव में रहतें हैं। उच्च अधिकारियों की धमकी के साथ साथ कार्य का दबाव संविदाकर्मियों के लिए घातक साबित हो रहा है। संघ पूरा प्रयास कर रहा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्मिकों के लिए लागू बीमा का लाभ सचिन के परिवार को दिलाया जाये। इसके अलावा संघ के जिला इकाई लखनऊ की तरफ से अपील की गईं कि सहयोग राशि एकत्रित कर सचिन के परिवार को सहयोग प्रदान किया जाये।