मायावती और योगी

बसपा के अकेले चुनाव लड़ने से भाजपा को क्या होगा फायदा?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में न सिर्फ रिकार्ड संसदीय सीटें जीतने के प्रति आश्वस्त नजर आते हैं, बल्कि आत्मविश्वास से ओतप्रोत भी। कहते हैं- ‘विपक्ष एकजुट होने का स्वांग तो करता है, लेकिन उनका गठबंधन स्वार्थ का है, जबकि मोदी एक ब्रांड हैं, विकास की गारंटी हैं, रोजगार की गारंटी हैं, निवेश की गारंटी हैं, परिवार कल्याण की गारंटी हैं।

मुख्यमंत्री कहते हैं कि लोगों ने महसूस किया है कि प्रदेश के हर सेक्टर में परिवर्तन हुआ है। भाजपा इस चुनाव में अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने जा रही है। समाजवादी पार्टी के पीडीए फार्मूले पर वह कहते हैं यह ‘परिवार दंगा एसोसिएशन’ है, भाजपा का मुकाबला कर ही नहीं सकता।

जिन लोगों को शौचालय मिले हैं, आवास मिला है, सम्मान निधि और मुफ्त राशन जैसी योजनाओं से लाभान्वित हुए हैं, क्या उनमें पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक नहीं हैं।

लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण से पहले मुख्यमंत्री ने अपने पांच कालिदास मार्ग स्थित आवास पर राज्य संपादक (उत्तर प्रदेश) आशुतोष शुक्ल के साथ जितेन्द्र शुक्ल, अजय जायसवाल और हरिशंकर मिश्र से विस्तृत बातचीत की…

सवाल: बसपा के अकेले लड़ने से भाजपा को क्या फायदा होते देख रहे हैं?

जवाब: देखिए, किसी के लड़ने या गठबंधन का पार्ट होने से बीजेपी का वोट बैंक प्रभावित नहीं होता है। बीजेपी, मोदीजी के नेतृत्व में अपने कार्य के भरोसे जनता-जनार्दन का आशीर्वाद पाने में सफल रहेगी। विपक्ष के गठबंधन बनते और टूटते रहते हैं, जितनी बार बनता है, उससे ज्यादा बार टूट भी जाता है।

यही नीयत है, इन लोगों की, क्योंकि स्वांग पर आधारित गठबंधन है। न मूल्य हैं और न ही आदर्श, उनके व्यक्तिगत स्वार्थ जब टकराते हैं तो टूट भी जाते हैं उतने ही भागों में।

अभी तो वह इसी प्रकार से आपस में लड़ते-भिड़ते रहते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन करने के प्रयास किए गए थे। आज फिर वही स्थिति उनके सामने आ गई है कि अब कोई गठबंधन का पार्ट नहीं बन पा रहा है। वे किसी तरह अपनी लाज बचाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोई असर नहीं पड़ेगा। भाजपा सभी सीटों पर जीतेगी।

सवाल: आपके मंत्रिमंडल के कुछ सहयोगी भी चुनाव मैदान में उतरेंगे?

जवाब: पार्टी जिसको भी कहेगी, वे सब तैयार हैं।