यूपी (मानवीय सोच) मदरसों की जांच का दौर अंतिम चरण में है। सरकार ने जिस मकसद से मदरसों की जांच शुरू कराई वह पूरा होता दिखाई दे रहा है। तमाम मदरसों को चलाने के लिए आने वाले फंड के सोर्स नहीं मिले हैं। कई मदरसों में तो शौचालय तक नहीं थे। ऐसी हालत देखकर जांच करने वाली टीम भी भौंचक रह गई है। बनारस में दो तहसीलों सदर व राजातालाब में जांच पूरी हो गई है। इसमें 12 मदरसे ऐसे मिले हैं जो अपने फंड का सोर्स नहीं बता पाए हैं। वहीं 87 मदरसे बिना मान्यता के चल रहे हैं। दस मदरसों में शौचालय भी नहीं है।
शासन के निर्देश पर जिले में 10 सितंबर से मदरसों का सर्वे शुरू हुआ था। एक महीने की जांच में दो तहसीलों में 195 मदरसे मिले हैं। जिसमें 23 अनुदानित हैं, 85 मान्यता प्राप्त और 87 बिना मान्यता के संचालित हैं। ज्यादातर ने अपने आय का जरिया चंदा और छात्रों की फीस को बताया है।
कई मदरसे निजी और सोसाइटी की जमीन पर संचालित हैं। इनकी रिपोर्ट जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने बना ली है। जिला अल्पसख्यंक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा ने बताया कि पिंडरा तहसील की रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। वहां की रिपोर्ट आने के बाद इसे डीएम के माध्यम से शासन को भेजा जाएगा।
20 मदरसों में 15 से कम बच्चे
अब तक के सर्वे के मुताबिक 20 मदरसे ऐसे भी मिले हैं जहां 15 से कम छात्र पढ़ रहे हैं। हालांकि यहां शिक्षकों की संख्या भी एक-दो ही है। इन मदरसों को संचालित करने के लिए चंदा मिलता है।
मस्जिद में संचालित मदरसे
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक छह मदरसे ऐसे मिले हैं जो मस्जिद में संचालित हैं। यानी जमीन मस्जिद के नाम से है। इन मदरसों में छात्रों के साथ ही सुबह और शाम आस-पास के बच्चे भी पढ़ने जाते हैं।
सिर्फ मदरसे के भरोसे नहीं हैं छात्र
मदरसे में पढ़ने वाले करीब 50 फीसदी छात्रों को दूसरे स्कूलो में भी रजिस्ट्रेशन मिला है। यानी ये बच्चे दोनों जगह पढ़ रहे हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना कि बच्चे मदरसे में दीनी तालीम पाने जाने हैं वहीं आधुनिक शिक्षा के लिए अन्य संस्थाओं में पढ़ रहे हैं।