नीतीश

नीतीश के इस्तीफे से लोकसभा चुनाव पर असर

नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने एनडीए में जाने का फैसला भी कर लिया है। आज शाम को वह बिहार के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। उनके इस्तीफे के बाद बिहार में सियासी भूचाल आ गया है। राष्ट्रीय जनता दल ने भी अब खुलकर नीतीश पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। हालांकि, अब आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि इंडी गठबंधन अब क्या करेगा, क्योंकि नीतीश कुमार ही इस गठबंधन के अगुवा थे।

बता दें कि इंडी गठबंधन को बनाने में नीतीश कुमार ने सबसे अहम भूमिका अदा की थी। नीतीश कुमार ही वो नेता थे जिन्होंने सबसे पहले बीजेपी के सामने देश को एक विकल्प देने का प्लान तैयार किया। उन्होंने विभिन्न प्रदेशों के नेताओं को साथ लिया और कांग्रेस को भी भरोसे में लिया। इसके बाद इंडी गठबंधन को बनाया गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस इंडी गठबंधन को अब नीतीश कुमार ने साइडलाइन कर दिया है, उसकी नींव उन्होंने पटना में ही रखी थी।

नीतीश कुमार की अगुवाई में इंडी गठबंधन की पहली बैठक पिछले साल 23 जून को हुई थी। इसके बाद दूसरी बैठक बेंगलुरु, फिर तीसरी बैठक मुंबई और चौथी बैठक दिल्ली में हुई। 1 साल से भी कम समय यानी 220 दिनों में ही इंडी गठबंधन के साथ नीतीश कुमार ने ‘खेला’ कर दिया। आज भले ही खरगे यह कह रहे हों कि “देश में कई लोग आयाराम-गयाराम हैं”, लेकिन कुछ समय पहले तक इंडी गठबंधन ने ही नीतीश कुमार को संजोयक बनाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, नीतीश कुमार ने खुद ही इस पद को ठुकरा दिया।

नीतीश किस बात से थे नाराज

नीतीश कुमार की नाराजगी कई बार साफ देखने को मिली। जनता दल यूनाइटेड के नेता भी इंडी गठबंधन से नाराज चल रहे थे। सबसे बड़ी वजह थी समय पर सीट शेयरिंग ना हो पाना। नीतीश कुमार कई बार यह बात कह चुके थे सीट शेयरिंग में देरी करने से इंडी गठबंधन को नुकसान होगा। जदयू के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी कहा था कि समय रहते सीट शेयरिंग कर लेनी चाहिए, लेकिन उनकी बातों का कोई असर नहीं हुआ। लालू यादव ने तो नीतीश के उलट ही बयान दिया। लालू यादव ने कहा कि कोई जल्दबाजी नहीं है। सबकुछ आराम से हो जाएगा।