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14 साल में सिर्फ 1.15 करोड़ आधार निष्क्रिय, जबकि 11.7 करोड़ मौतें – क्या जरूरी है ऑटोमैटिक सिस्टम?

मृतकों के आधार नंबर अभी भी सक्रिय! UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) ने 14 साल में केवल 1.15 करोड़ आधार किए निष्क्रिय, जबकि 11.7 करोड़ लोगों की हो चुकी है मृत्यु – क्या अब जरूरी है ऑटोमैटिक प्रक्रिया?

नई दिल्ली, 16 जुलाई 2025 –
एक चौंकाने वाले खुलासे में सामने आया है कि भारत में आधार कार्ड जारी करने वाली संस्था UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) ने पिछले 14 वर्षों में सिर्फ 1.15 करोड़ आधार नंबर ही निष्क्रिय (deactivate) किए हैं, जबकि इस दौरान देश में लगभग 11.7 करोड़ लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

यह आंकड़ा एक RTI (सूचना के अधिकार) के जवाब में सामने आया है, जो सरकार की डिजिटल पहचान प्रणाली और मृत्यु के बाद आधार निष्क्रिय करने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाता है।

🔍 क्या है समस्या?

भारत में हर नागरिक को 12 अंकों का विशिष्ट आधार नंबर दिया जाता है, जो बैंक खातों, पेंशन, राशन, मोबाइल सिम, और तमाम सरकारी योजनाओं से जुड़ा होता है। लेकिन जब कोई व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तब भी अगर उसका आधार नंबर सक्रिय रहता है, तो यह कई तरह के धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का रास्ता खोल देता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर मृत्यु के बावजूद, आधार कार्ड को निष्क्रिय न किया जाना सिस्टम में गहरी खामी को दर्शाता है।

🧾 RTI में क्या जानकारी दी गई?

UIDAI ने बताया कि 2010 से अब तक केवल 1.15 करोड़ आधार नंबर ही निष्क्रिय किए गए हैं।

इस अवधि में भारत में 11.7 करोड़ से अधिक मौतें दर्ज हुई हैं।

इसका मतलब है कि लगभग 90% से अधिक मृतकों के आधार अब भी सिस्टम में सक्रिय हो सकते हैं।

❗ क्या हैं इसके खतरे?

1. फर्जी सब्सिडी और पेंशन: मृत व्यक्ति के नाम पर सरकारी योजनाओं का फायदा उठाया जा सकता है।

2. पहचान की चोरी: अपराधी मृतकों के पहचान दस्तावेजों का दुरुपयोग कर सकते हैं।

3. जनगणना और सरकारी योजनाओं की सटीकता पर असर: मृत्यु के बाद डेटा अपडेट न होने से योजनाओं की योजना और बजट गड़बड़ा सकता है।

 

✅ क्या हो सकता है समाधान?

अब विशेषज्ञ और नागरिक समाज दोनों ही मांग कर रहे हैं कि सरकार को एक “ऑटोमैटिक आधार निष्क्रिय करने की प्रणाली” लागू करनी चाहिए।

कैसे काम कर सकती है यह प्रणाली?

1. डिजिटल मृत्यु प्रमाणपत्र प्रणाली को UIDAI से जोड़ा जाए।

2. जैसे ही किसी व्यक्ति की मृत्यु का पंजीकरण होता है, उसी क्षण उसका आधार UIDAI के सिस्टम में निष्क्रिय हो जाए।

3. परिवार को SMS/ईमेल से सूचना दी जाए, और यदि कोई आपत्ति हो तो उन्हें एक निर्धारित अवधि में अपनी बात रखने का अवसर भी मिले।

4. जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार, नगर निगम, और पंचायतों को UIDAI से जोड़ा जाए, ताकि स्थानीय स्तर पर भी डेटा समन्वय हो।

📌 निष्कर्ष

भारत जैसे विशाल देश में जहां आधार हर व्यक्ति की पहचान का मुख्य साधन बन चुका है, वहां मृत्यु के बाद भी आधार का सक्रिय रहना सुरक्षा, पारदर्शिता और व्यवस्था की विश्वसनीयता – तीनों के लिए खतरा बन सकता है।

अब समय आ गया है कि UIDAI और केंद्र सरकार इस खामी को दूर कर, एक स्मार्ट और जिम्मेदार प्रणाली बनाए जिससे डिजिटल इंडिया वाकई साफ-सुथरा और सुरक्षित बन सके।

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