वाशिंगटन (मानवीय सोच) अमेरिका के सबसे करीबी देशों में से एक सऊदी अरब अपनी अलग राह पकड़ता नजर आ रहा है। सऊदी अरब और अमेरिका के बीच संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं। अमेरिकी सांसदों का एक वर्ग पश्चिम एशियाई देश सऊदी अरब को हथियारों की आपूर्ति को प्रतिबंधित करना चाहता है। बता दें कि सऊदी अरब हथियारों के लिए लगभग पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर है। लेकिन तेल को लेकर पनप रहे ताजा विवाद ने इस रिश्ते में कड़वाहट घोल दी है।
OPEC+ तेल उत्पादक देशों का सबसे बड़ा समूह है। इस समूह में सऊदी अरब का दबदबा है। ओपेक प्लस ने 5 अक्टूबर को तेल उत्पादन में कटौती का ऐलान किया जिससे अमेरिका नाराज हो गया। बता दें कि इस समूह में रूस भी सदस्य देश है। हालांकि तेल में कटोती के ऐलान के बाद से अमेरिकी सरकार लगातार सऊदी अरब को तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए मनाने में जुटी थी। खबर है कि अमेरिका की बातों को सऊदी अरब ने अनसुना कर दिया।
सऊदी के नेतृत्व में ओपेक प्लस ने कहा है कि यूक्रेन युद्ध, चीन में बढ़ रहे कोविड-19 केस ऐसी कुछ वजहें हैं जिससे वैश्विक बाजार उथल-पुथल मची है। इसलिए तेल के अंतरराष्ट्रीय कीमतों को बनाए रखने के लिए तेल उत्पादन में कटौती जरूरी है। इस निर्णय के तहत ओपेक प्लस देश 20 लाख बैरल प्रतिदिन तेल उत्पादन में कटौती करेंगे। इससे वैश्विक बाजार में तेल की कीमत में तेजी आएगी।
अमेरिका और सऊदी अरब के बीच संबंधों की डोर तेल से ही जुड़ी है। अमेरिका इस क्षेत्र में सऊदी अरब को उसके दुश्मनों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है, विशेष रूप से, ईरान के खिलाफ। सऊदी अरब बदले में अपने बाजारों में एक विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तेल उत्पादन बढ़ाता है। इसके अलावा अभी सऊदी अरब यमन में ईरान के साथ छद्म युद्ध में उलझा हुआ है और परमाणु सौदे को लेकर बातचीत फिर से शुरू होने से परेशान है। इस बीच तेल उत्पादन में कटौती ने अमेरिकी सांसदों को नाराज कर दिया है।
डेमोक्रेट सीनेटर बॉब मेनेंडेज, रिचर्ड ब्लूमेंथल और रो खन्ना ने भी सऊदी के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही है। गार्जियन के मुताबिक, अमेरिकी सांसद मेनेंडेज ने कहा, “मैं सऊदी अरब के साथ किसी भी सहयोग को हरी झंडी नहीं दूंगा जब तक कि किंगडम यूक्रेन में युद्ध के संबंध में अपनी स्थिति का पुनर्मूल्यांकन नहीं करता। बहुत हो गया।”
मेनेंडेज ने कहा कि प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ‘ओपेक+ कार्टेल के माध्यम से पुतिन के युद्ध’ को बढ़ाने में मदद कर रहे थे। रो खन्ना और ब्लूमेंथल ने पोलिटिको पत्रिका में लिखा, “सऊदी का निर्णय अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन अमेरिका के पास भी जवाब देने का एक तरीका है: अमेरिका सऊदी के हाथों में अमेरिकी युद्ध टेक्नोलॉजी के बड़े पैमाने पर हस्तांतरण को तुरंत रोक सकता है।” इन डेमोक्रेट्स ने सऊदी को अपने ‘सबसे बड़े दुश्मन’ का ‘स्पष्ट सहयोगी’ करार देते हुए कहा कि इन रणनीतिक रक्षा प्रणालियों को सऊदी को नहीं देना चाहिए।
इसके अलावा, अमेरिकी सीनेटर क्रिस मर्फी ने रविवार को कहा कि यह स्पष्ट है कि सऊदी अरब से हमें उतना सहयोग नहीं मिला, जितना हमें चाहिए था। उन्होंने कहा कि डेमोक्रेटस के अन्य सदस्य भी इस पक्ष में हैं कि गल्फ कंट्री (खाड़ी देशों) के साथ संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए। अमेरिका के तीन अन्य डेमोक्रेटिक नेता ने संयुक्त बयान में कहा कि अमेरिका खाड़ी देशों के साथ संबंध में सुपरपावर की भूमिका में आए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जब उन्होंने उस विकल्प को चुना है तो उसके नतीजों के लिए भी उन्हें तैयार रहना चाहिए।