(मानवीय सोच) कराची में चीनी भाषा सिखाने वाले इंस्टीट्यूट पर बलोच आंदोलनकारियों का 26 अप्रैल की शाम का हमला कई अर्थों में बहुत बड़ा मोड़ है. एक आत्मघाती हमले में 3 चीनी नागरिक मारे गए और 1 जख्मी हुआ. हमला 30 साल की जूलॉजी की पोस्ट ग्रेजुएट और एमफिल कर रही शारी बलोच ने किया. शारी बलोच बलोचिस्तान के एक बहुत शिक्षित परिवार से आती हैं और उनके पति भी डॉक्टर हैं. बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए चीन को बलोचिस्तान छोड़ने की चेतावनी दी. ये हमला बलोच स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की बड़े पैमाने पर हिस्सेदारी की घोषणा करता है, साथ ही बलोच स्वतंत्रता आंदोलन के तेज होने का भी संकेत देता है.
अब महिलाएं करेंगी हमला?
शारी बलोच उर्फ ब्रश्म बलोचिस्तान के तुरबत की रहने वाली थीं और उन्होंने क्वेटा की बलोचिस्तान यूनिवर्सिटी से ZOOLOGY में मास्टर डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने अल्लामा इकबाल ओपन यूनिवर्सिटी के तुरबत कैंपस से Mphil करने के साथ ही एक सेंकेंडरी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया. उनके पति डेंटिस्ट हैं और उनके पिता सरकारी अधिकारी रह चुके हैं. उनके दो बच्चे हैं और परिवार उच्च शिक्षित और प्रतिष्ठित है. BLA ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि दो साल पहले शारी बलोच मजीद ब्रिगेड में शामिल हुई थीं और उन्होंने आत्मघाती अभियानों में शामिल होने की इच्छा जताई. उन्हें दोबारा विचार करने को कहा गया लेकिन उनके इरादा न बदलने के बाद उनको इन अभियानों में शामिल करने को मंजूरी दी गई. BLA ने चीन से तुरंत बलोचिस्तान के संसाधनों का शोषण बंद करने और चले जाने को कहा है. BLA ने ये भी कहा है कि उसके सैकड़ों प्रशिक्षित आत्मघाती युवक-युवतियां अगले हमलों के लिए तैयार हैं.
इस साल बलोच आंदोलनकारियों के हमलों में आई तेजी
BLA सहित बलोचिस्तान के दूसरे आंदोलनकारी गुटों ने आत्मघाती हमलों की कार्रवाईयां कम की हैं. कई महिला आंदोलनकारी रही हैं और इनमें से कई ने हथियारबंद हमलों में भी भाग लिया है. लेकिन शरीर पर बम बांधकर आत्मघाती हमला करने वाली शारी पहली बलोच महिला हैं. इस साल की शुरुआत से ही बलोच आंदोलनकारियों के हमलों में तेजी आई है. फरवरी में बलोचों ने फ्रंटियर कोर के दो बेसों पर बड़े हमले किए जिनमें सैकड़ों की तादाद में बलोच आंदोलनकारी शामिल थे, जिन्होंने बड़ी तादाद में पाकिस्तानी सैनिकों को मारने के अलावा कई लोगों को बंधक भी बनाया. सबसे खास बात ये है कि बलोचों के पास नए हथियार हैं और ये ऐसे हथियार हैं जैसे 2021 में अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में छोड़ गए थे. इसका अर्थ ये है कि बलोचों को किसी जरिए से अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से मदद मिल रही है और ये पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी चिंता है.
पाक का सबसे गरीब सूबा है बलोचिस्तान
पाकिस्तान के लिए एक और बड़ी चिंता चीन की नाराजगी है. बलोचिस्तान में चीन गैस के कई बड़े प्रोजेक्ट्स चलाने के साथ ही अपने सबसे महत्वाकांक्षी ग्वादर बंदरगाह पर भी काम कर रहा है. लेकिन जिस बेरहमी से चीन बलोचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों की लूट कर रहा है उससे बलोचों में बहुत गुस्सा है. बलोचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे गरीब सूबा है और यहीं गैस सिहत सबसे ज्यादा प्राकृतिक संसाधन हैं जिनपर चीन की नजर है. पिछले साल 14 जुलाई को खैबर-पख्तूनख्वा के कोहिस्तान में डासू प्रोजेक्ट पर चीनियों को ले जा रही बस पर हमला हुआ था जिसमें 9 चीनी इंजीनियर मारे गए थे. इस हमले के बाद चीन ने पाकिस्तान से अपनी सख्त नाराजगी दिखाई थी और अपने नागरिकों की सुरक्षा पक्की करने को कहा था. कराची के हमले के बाद खबर है कि चीन की नाराजगी बहुत बढ़ गई है. पाकिस्तान अपने यहां चीन के प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा के लिए दो डिवीजन (लगभग 30,000) सैनिक तैनात करता है जिसका खर्च चीन उठाता है. जाहिर है चीन अब उस खर्चे और सुरक्षा में नाकामी की जांच जरूर करेगा और ये पाकिस्तान के लिए नया सिरदर्द है.