मुंबई (मानवीय सोच) एकनाथ शिंदे की बगावत और करीब दो दर्जन विधायकों के सूरत में डेरा जमाने के चलते शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार बड़े संकट में आ गई है। उद्धव ठाकरे ने इस मसले पर बात करने के लिए आज दोपहर मीटिंग बुलाई थी, लेकिन इसमें करीब 20 विधायक ही शामिल हुए। ऐसे में उद्धव ठाकरे सरकार को लेकर चिंता बढ़ गई है। शिवसेना के कुल 55 विधायक हैं और यदि पार्टी से 27 अलग हो जाते हैं तो फिर उन पर दल-बदल का कानून लागू नहीं होगा। ऐसे में उद्धव ठाकरे की मीटिंग से 35 विधायकों का दूर रहना बड़े संकेत दे रहा है। हालांकि शिवसेना अब डैमेज कंट्रोल में जुटी है। एक तरफ एकनाथ शिंदे को उसने विधायक दल के नेता के पद से हटाकर अजय चौधरी को यह कमान सौंपी है। वहीं कुछ देर में शक्ति प्रदर्शन की भी बात कही है।
इस बीच भाजपा के दावे ने भी शिवसेना और अघाड़ी सरकार की चिंताओं में इजाफा कर दिया है। मीडिया से बात करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा, ‘हमारे पास जो खबर है, उसके मुताबिक एकनाथ शिंदे 35 विधायकों के साथ गए हैं। इसका मतलब यह हुआ कि तकनीकी तौर पर उद्धव ठाकरे सरकार अल्पमत में आ गई है। हालांकि व्यवहारिक तौर पर सरकार के अल्पमत में आने में अभी कुछ वक्त लगेगा।’ उन्होंने कहा कि हमें एमएलसी चुनाव और राज्यसभी इलेक्शन में अच्छा समर्थन मिला है। कई निर्दलीय विधायकों और छोटे दलों के नेताओं ने हमें वोट दिया।
भाजपा ताकत आंक रही, पर उतावली नहीं दिखना चाहती
हालांकि इस दौरान चंद्रकांत पाटिल ने यह भी संकेत कर दिया कि भाजपा इस बार उतावली नहीं दिखना चाहती। उन्होंने कहा कि फिलहाल अविश्वास प्रस्ताव के लिए स्पेशल सेशन बुलाने की स्थिति पैदा नहीं हुई है। 18 जुलाई से सदन का मॉनसून सेशन शुरू हो रहा है। हम उस दौरान इस पर बात करेंगे। यही नहीं भाजपा की ओर से सरकार बनाने के दावे पर पाटिल ने कहा, ‘अभी तो कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। हम फिलहाल हालात पर नजर बनाए हुए हैं। न ही एकनाथ शिंदे ने हमें कोई प्रस्ताव भेजा है और न भाजपा की ओर से उन्हें कुछ ऑफर किया गया है।’
बयान ने बढ़ाया सस्पेंस, पाटिल बोले- कुछ भी हो सकता है
इसके साथ ही चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि राजनीति में किसी भी वक्त कुछ भी हो सकता है। उद्धव ठाकरे की मीटिंग में शिवसेना के ही 35 विधायकों के न पहुंचने से भाजपा नेता का दावा मजबूत दिखता है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के 106 विधायक हैं और उसे 13 अन्य निर्दलीय नेताओं का समर्थन हासिल है। ऐसे में यदि उसे 26 शिवसेना विधायक सपोर्ट करते हैं तो फिर वह सरकार बनाने के जादुई आंकड़े तक पहुंच सकती है।