उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक अजीबोगरीब रिश्वतखोरी का मामला सामने आया है, जिसमें अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के वरिष्ठ सहायक मोहम्मद आसिफ ने एक मदरसे को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर करने की फाइल को आगे बढ़ाने के लिए ₹1 लाख की रिश्वत मांगी। यह मामला तब और दिलचस्प हो गया जब अधिकारी ने पीड़ित को किस्तों में रिश्वत देने का ऑप्शन भी दे दिया।
सूत्रों के अनुसार अधिकारी ने छह महीने तक फाइल को रोके रखा, जिससे परेशान होकर पीड़ित आरिश ने आखिरकार रिश्वत देने का फैसला कर लिया। जब पीड़ित ने एक बार में ₹1 लाख का भुगतान करने में असमर्थता जताई, तो अधिकारी – वरिष्ठ सहायक वक्फ, मोहम्मद आसिफ ने सुझाव दिया कि वह इसे किश्तों में चुका सकता है। पहली किस्त 18,000 रुपये तय की गई, लेकिन आरिश ने यह जानकारी सतर्कता विभाग को दे दी।
पीड़ित ने इस मामले की शिकायत सतर्कता विभाग से कर दी। विजिलेंस टीम ने बरेली के विकास भवन में अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय में ट्रैप लगाकर अधिकारी को पकड़ने की योजना बनाई। जैसे ही मोहम्मद आसिफ ने रिश्वत की पहली किस्त के रूप में ₹18,000 पकड़ा, सतर्कता विभाग ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। मोहम्मद आसिफ ने मदरसा मंजूरिया अख्तरुल उलूम के छात्र आरिश से 1 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी।
पीड़ित बरेली के थाना बहेड़ी का रहने वाला है। जब आसिफ ने किस्तों में भुगतान करने का सुझाव दिया तो पीड़ित ने सतर्कता विभाग से शिकायत की। विजिलेंस टीम ने जांच शुरू की और बरेली के विकास भवन स्थित अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय में अधिकारी को ट्रैप करने की योजना बनाई गई। जैसे ही आरोपी अधिकारी ने शिकायतकर्ता से रिश्वत की पहली किस्त ली, सतर्कता टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया है।