मेरठ (मानवीय सोच) दो मिनट में ही ट्रेन में आग भड़क गई। भागो-भागो का शोर मचाकर करीब 250 यात्री ट्रेन से कूद पड़े। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आवाज सुनकर लोको पायलट अनिल कुमार सतर्क हो गए। दौराला स्टेशन से पहले ही लोको पायलट ने ट्रेन को रोक दिया। कुछ ही देर में ट्रेन खाली कर दी गई। आग की कई फुट ऊंची लपटें देखकर चारों ओर धुएं का गुबार फैल गया। आसपास के क्षेत्रों से लोग दौराला स्टेशन पर पहुंच गए। यात्रियों और स्थानीय लोग मोबाइल से यह दृश्य कैद करने लगे। यात्रियों ने बताया कि ट्रेन के नीचे धमाके की आवाज आने के बाद आग की लपटें उठने लगी थीं।
अपनों का हाल जानने के लिए घनघनाने लगे फोन
आग लगने की जानकारी मिलने पर ट्रेन में सवार यात्रियों के परिजन अपनों का हाल जानने के लिए फोन करते रहे। कई दैनिक यात्री अपने परिजनों को दौराला बुलाकर वापस अपने घर या अन्य किसी संसाधन से नौकरी पर गए।
डेढ़ घंटे में मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड, तीन घंटे में बुझी आग
सूचना के एक घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची और फायर ब्रिगेड को सूचना दी। लगभग डेढ़ घंटे बाद फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची और आग बुझाने का प्रयास किया। पहले दो फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची, लेकिन तेज हवाओं के चलने के कारण आग ने भीषण रूप धारण कर लिया। लगभग एक दर्जन फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से आग पर काबू पाया गया। दौराला चीनी मिल की फायर ब्रिगेड भी मौके पर पहुंची। पानी खत्म होने के बाद सिवाया टोल प्लाजा व दौराला चीनी मिल से पानी लेकर फायर ब्रिगेड आग बुझाने में जुटी रही। लगभग तीन घंटे बाद जाकर आग पर काबू पाया जा सका।
खौफनाक मंजर देख सहमे लोग
दौराला स्थित रेलवे स्टेशन पर बर्निंग ट्रेन बनी टू-डीएस पैसेंजर को देख लोगों के जेहन में एक दिन पहले पल्लवपुरम के क्यू-पॉकेट में घुसे तेंदुए की बात जहन में उतर आई। शुक्रवार को भी सुबह 7:30 बजे तेंदुआ एक घर में घुस गया था। शनिवार को इसी समय ट्रेन को आग ने अपने आगोश में ले लिया। 24 घंटे में दो खौफनाक मंजर ने लोगों में दहशत कर दी।
अग्निशमन यंत्र नहीं आए काम
ट्रेन में लगे अग्निशमन यंत्र भी आग बुझाने में कामयाब नहीं हो सके। फायर ब्रिगेड आने से पहले पुलिस, आरपीएफ, जीआरपी ने ट्रेन में लगे अग्निशमन यंत्रों से आग बुझाने का प्रयास किया लेकिन, विफल रहे। तेज हवा होने के कारण आग बढ़ती चली गई।
यात्रियों ने धक्का लगाकर हटाईं बोगियां, बड़ा हादसा टला
ट्रेन में आग की लपटें देखकर टू-डीएस में सफर कर रहे रेलवे के तीन कर्मचारियों ने सूझबूझ का परिचय दिया। उन्होंने आग लगीं बोगियों को ट्रेन से अलग किया और यात्रियों ने धक्का लगाकर अन्य बोगियों को हटाया। इससे बड़ा हादसा टल गया।
सकौती, खतौली स्टेशन से सवार होकर रेलवे कर्मचारी विशाल कुमार, अनुज कुमार और अजीत तोमर गाजियाबाद जा रहे थे। ट्रेन से कूदने के बाद आग की बढ़ती लपटों की परवाह किए बगैर उन्होंने तुरंत आगे के पांच और पीछे के तीन कोच ट्रेन से अलग कर दिए। इसके बाद यात्रियों ने उनके इस कार्य को आगे बढ़ाने में मदद की। सभी यात्रियों ने ट्रेन के शीशे की चौखट को पकड़कर आगे धक्का लगवाया। इसके बाद आसानी से अन्य कोच को सुरक्षित प्लेटफॉर्म पर ले जाया गया। इससे सिर्फ दो कोच ही आग की लपटों में आए। तीसरे कोच में 20 से 25 प्रतिशत ही नुकसान हुआ।
रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान
इन दो कोच के जलने से रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। एक कोच की कीमत 50 से एक करोड़ रुपये आंकी जाती है। मेमू शेड होने के कारण इसमें खड़े होकर यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए अतिरिक्त हैंडल लगाए जाते हैं, जिससे सफर सुरक्षित हो सके।
आग ने आठ मिनट में जला दिए कोच
सकौती स्टेशन से सुबह 7:06 बजे दौराला की तरफ चलने पर स्टेशन से पहले फाटक नंबर 39 पर गेटमैन को धुआं दिखाई दिया। इसके बाद उसने तुरंत दौराला स्टेशन मास्टर को सूचना दी। उसने भी तुरंत लोको पायलट को बताया। हालांकि, इससे पहले यात्री भी शोर मचा रहे थे। दौराला स्टेशन से पहले ट्रेन 7:14 बजे तक आग से घिर चुकी थी। महज आठ मिनट के अंतराल में आग ने ट्रेन के कोच को अपने आगोश में ले लिया।