गुजरात के सोमनाथ में अवैध निर्माण हटाने पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार,

गुजरात के गिर सोमनाथ में अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यथास्थिति बनाए रखने की मांग की गई थी। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ पहले यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देने वाली थी, लेकिन बाद में दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देने से इनकार कर दिया। 

गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि अवैध निर्माण से मुक्त कराई गई भूमि सरकार के पास रहेगी और अगले आदेश तक किसी तीसरे पक्ष को आवंटित नहीं की जाएगी। इसके बाद पीठ ने कहा कि इस स्थिति में हमें कोई अंतरिम आदेश पारित करना जरूरी नहीं लगता। गुजरात उच्च न्यायालय के 3 अक्तूबर के फैसले के खिलाफ औलिया ए दीन समिति ने याचिका दायर की थी, जिसमें यथास्थिति बरकरार रखने की मांग की गई थी।

औलिया ए दीन समिति की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें दीं और ध्वस्तीकरण कार्रवाई का विरोध करते हुए तर्क दिया कि जिसे अवैध बताया जा रहा है कि वह भूमि 1903 की है और समिति के नाम पर पंजीकृत थी। सिब्बल ने कहा कि भूमि की कानूनी और ऐतिहासिक  स्थिति को सम्मान दिए बगैर विध्वंस की कार्रवाई मनमाने तरीके से की जा रही है। इस पर एसजी तुषार मेहता ने दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनमें विवादित भूमि को सोमनाथ ट्रस्ट के कब्जे में दर्शाया गया था। एसजी ने कहा कि याचिकाकर्ता के दावे भ्रामक हैं और सरकार को अवैध निर्माण हटाने का अधिकार है। गुजरात सरकार प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर के करीब अवैध निर्माण के खिलाफ ध्वस्तीकरण अभियान चला रही है।

इस अभियान के तहत 57 एकड़ क्षेत्र में फैले अवैध निर्माणों को ढहाया जा रहा है। जिस अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, उनमें मुस्लिम समुदाय के कई धार्मिक स्थल और आवास भी हैं। गुजरात सरकार का कहना है कि अवैध संरचनाएं समुद्र से सटी हुई हैं और अवैध हैं। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्तूबर को अपने आदेश में देशभर में हो रहे बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी थी। हालांकि कोर्ट ने अवैध निर्माण पर कार्रवाई जारी रखने की इजाजत दे दी थी।