सौ बेड वाले मातृ शिशु स्वास्थ्य विंग में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। एक नवजात बच्ची की इलाज के अभाव में मौत हो गई। मझवां विधानसभा क्षेत्र के लप्सी गांव की निवासी रीता विश्वकर्मा को प्रसव पीड़ा होने पर उनके परिजन रात 10 बजे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे थे। ड्यूटी पर कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था।
नर्स वॉट्सएप कॉल् के जरिए डॉक्टरों से बात करा रही थीं। ऐसे में मरीज की हालत बिगड़ती गई और नवजात बच्ची की जान चली गई। परिजनों का गंभीर आरोप है कि ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर अस्पताल में मौजूद नहीं थे। वे वॉट्सएप वीडियो कॉल के जरिए नर्सों को इलाज के निर्देश दे रहे थे। अनीश विश्वकर्मा ने बताया कि 1:30 बजे उनकी मरीज रीता विश्वकर्मा की डिलीवरी हुई थी। लेकिन डॉक्टर की अनुपस्थिति में मरीज की हालत बिगड़ती गई।
उन्होंने दरवाजा खटखटाया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया और प्रसव के दौरान बच्ची की मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि उन्होंने जनता मेडिकल से महंगे इंजेक्शन और दस्ताने खरीदकर दिए, लेकिन इसके बावजूद नवजात को नहीं बचाया जा सका। बच्ची की मौत के बाद उसे बीएचयू रेफर किया गया। इस घटना से आक्रोशित परिजनों ने बच्ची का शव अस्पताल के गेट पर रखकर प्रदर्शन किया।
उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए दोषी स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। परिजनों ने कहा कि लापरवाही करने वाले कर्मियों को जेल भेजा जाना चाहिए। मिर्जापुर की स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही के ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। मौके पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया और मामले की जांच का आश्वासन दिया। अस्पताल प्रशासन और पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है। दोषी पाए जाने पर संबंधित डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात कही है।