नई दिल्ली (मानवीय सोच): केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने लंबी दूरी वाली यात्री बसों और स्कूल बसों में फायर अलार्म और सप्रेशन सिस्टम लगाना जरूरी कर दिया है। मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान के मुताबिक, लंबी दूरी तय करने के लिए बनाई गई एवं संचालित की जा रहीं यात्री बसों और स्कूल बसों के उस हिस्से में आग लगने से बचाव का सिस्टम लगाना होगा जहां पर लोग बैठते हैं।
इसके लिए 27 जनवरी को अधिसूचना जारी कर दी गई है। अभी तक गाड़ियों के इंजन वाले हिस्से से निकलने वाली आग की पहचान करने, अलार्म बजने और सप्रेशन सिस्टम की ही व्यवस्था लागू रही है। इंडस्ट्री स्टैंडर्ड 135 के अनुसार इंजन में आग लगने की स्थिति में यह सिस्टम सतर्क कर देता है।
सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा, ”टाइप-3 बसों एवं स्कूल बसों के अंदर सवारियों के बैठने वाले हिस्से में फायर अलार्म सिस्टम लगाने की व्यवस्था लागू की गई है।” टाइप-3 बसें लंबी दूरी तय करने के लिए डिजाइन की जाती हैं। बसों में आग लगने की घटनाओं के बारे में हुई रिसर्च का हवाला देते हुए कहा गया है कि ऐसे हादसों के समय बसों के अंदर बैठे यात्री अक्सर हाई टेंपरेचर और धुएं की वजह से हताहत होते हैं।
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि अगर सवारियों के बैठने वाले हिस्से में ही आग की चेतावनी देने वाली सिस्टम लगा हो तो इन हादसों को काफी हद तक रोका जा सकता है। चेतावनी मिलने के बाद सवारियों को बस से फौरन निकलने का वक्त मिल जाएगा। इसके बाद ऐसे वाहन जो इस आदेश का उल्लंघन करते हुए पाए जाते है उनके खिलाफ पुलिस द्वारा कार्रवाई भी की जा सकती है। ऐसे में आपको सलाह दी जाती है कि इस आदेश का पालन करें।