कहते हैं होनहार बिरवान के होत चिकने पात, यानी सफल व्यक्ति के लक्षण बचपन से ही दिखने लगते हैं. होनहार व्यक्ति कभी मजबूरी या परेशानियों के आगे नहीं झुकता. वो कभी परिस्थितियों को दोष नहीं देता बल्कि अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के दम पर असंभव से असंभव कार्य को भी पूरा करने का माद्दा रखता है. हालात कितने भी बुरे क्यों न हों वो हर बुरे वक्त को तोड़कर लक्ष्य की ओर बढ़ता रहता है. ऐसे ही एक होनहार और काबिल शख्स की कहानी हम बताने जा रहे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया है तमिलनाडु के पार्थसारथी ने. पार्थसारथी महज 17 साल के हैं उन्होंने 112 अंक लाकर जेईई मेन्स का पेपर क्रैक किया जिसके बाद उन्हें आईआईटी मद्रास में एडमिशन दिया गया है. पार्थसारथी बेहद साधारण परिवार के बेटे हैं. उनके माता-पिता बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष करते हैं. उनके पिता रोजमर्रा की जरूरतों के लिए ऑटो चलाते हैं.
पिता ने बेटे के लिए किया त्याग
पार्थसारथी का सफर मुश्किलों से भरा रहा है. उनके पिता उनकी पढ़ाई के लिए दिन-रात ऑटो चलाते थे. पार्थसारथी तमिलनाडु के राजापलायम के गणपति सुंदर नचियारपुरम गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता ने बताया कि उन्होंने आदि द्रविड़ वेलफेयर हायर सेकेंडरी स्कूल सुंदरराजपुरम से पढ़ाई की है. वह 10वीं में टॉपर थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उन्हें आगे की पढ़ाई छोड़नी पड़ी. इसके बाद उन्होंने ऑटो चलाना शुरू कर दिया. पिता ने कहा कि जैसे मुझे आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी, वैसे ही मैं अपने बच्चों की पढ़ाई कभी नहीं रुकने दूंगा. उनकी पढ़ाई के लिए मुझे जो भी करना पड़ेगा, वह काम करूंगा. मैं गरीबी और लाचारी को कभी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दूंगा.
पार्थ ने बिना कोचिंग के JEE मेन्स पास किया
उनके पिता एन चंद्रबोस ने बताया कि पार्थसारथी ने बिना किसी कोचिंग के JEE की तैयारी की. सच तो यह है कि उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे महंगी कोचिंग की फीस भर सकें. जब भी उनके पिता को किसी अखबार या किसी से किसी के IIT पास करने की खबर मिलती तो वे अपने बेटे के लिए सपने देखने लगते. पार्थसारथी के पिता ने उन्हें JEE की तैयारी करने के लिए कहा था और पार्थसारथी ने अपने पिता के भरोसे पर पूरी तरह खरा उतरा.