वाराणसी : मोक्ष की नगरी काशी में अजन्मी बेटियों को मोक्ष का अधिकार मिला. वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर संपूर्ण वैदिक परंपरा की उन अजन्मी एवं अभागी कन्याओं के लिए श्राद्ध कर्म का आयोजन किया गया। जिन्हें इस धरती पर आने से पहले उनके ही सगे-संबंधियों ने गर्भ में ही मार डाला था। इस अनोखे आयोजन में 11 हजार कन्याओं का पिंडदान किया गया।
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सामाजिक संस्था आगमन के सचिव संतोष ओझा ने पिता बनकर उन अजन्मी कन्याओं का श्राद्ध कर्म किया। इस दौरान समाज के विभिन्न वर्गों के लोग भी मौजूद रहे। पिंडदान और तर्पण के बाद उन अजन्मी बेटियों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
गर्भपात हत्या है
संतोष ओझा ने बताया कि लोग गर्भपात को सिर्फ एक ऑपरेशन मानते हैं, लेकिन बेटा होने की उम्मीद में लोग यह भूल जाते हैं कि गर्भधारण के तीन महीने बाद गर्भस्थ शिशु में महत्वपूर्ण हवा का संचार होता है। विज्ञान भी इसे स्वीकार करता है। इसलिए, संगठन का मानना है कि इस तरह का गर्भपात एकमुश्त हत्या है। ऐसे में उन नन्ही बच्चियों की आत्मा की शांति के लिए गुरुवार को इस अनोखे कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जो अपनों की ही कोख में मर गईं.
अब तक 37 हजार बेटियां कर चुकी हैं श्राद्ध कर्म
बता दें कि अब तक सामाजिक संस्था आगमन 37 हजार अजन्मी बेटियों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर चुकी है। इस आयोजन के माध्यम से संस्था उन लोगों को समाज के प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रही है. जिन्होंने बेटों के हित में बेटियों को कोख में ही मार डाला है।