अन्नू रानी को आज पूरा विश्व जानता है। वह जेवलिन थ्रो में ओलंपिक में भाग लेने वाली एक मात्र भारतीय महिला एथलीट हैं। मेरठ के बहादुरपुर गांव निवासी अन्नू रानी से पेरिस ओलंपिक में सभी को पदक की उम्मीद हैं। वह भाला फेंक स्पर्धा में प्रतिभाग करेंगी। नीरज चौपड़ा की अगुवाई में वह ओलंपिक में प्रतिभाग करने पहुंच चुकी हैं। अन्नू रानी एशियन गेम्स 2023 में स्वर्ण पदक जीतकर चर्चा में आई थी इसके बाद से देश के अन्य एथलीट भी उनसे प्रेरणा लेकर खेलों की ओर रुख कर रहे हैं। अन्नू रानी सरधना रोड स्थित बहादुर गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने गन्ने के खतों के बीच से गुजर रही चकरौड़ पर गन्ने का भाला बनाकर उसे फेंकना शुरू किया था। इसके बाद उनके भाई उपेंद्र ने उनकी ताकत को पहचाना और भाला फेंक के लिए उन्हें प्रेरित किया।
इसके बाद से ही वह आगे बढ़ती चली गईं। हालांकि उनके पिता अमर पाल सिंह ने इसका विरोध किया, लेकिन उन्होंने बमुश्किल पिता को मनाया और आगे बढ़ीं। कई बार चोरी छिपे भी अभ्यास किया और उनकी मेहनत रंग लाई। भाई ने उनका साथ दिया और आज वह इस मुकाम पर पहुंची हैं कि ओलंपिक में देश का नाम रोशन करने पहुंच चुकी हैं। अब सभी को उनके ओलंपिक में पदक की उम्मीद है। अन्नू रानी के इस मुकाम में पहुंचने तक उनके अलावा उनके परिवार का संघर्ष भी कम नहीं था। अन्नू रानी का जन्म बहादुरपुर गांव में 28 अगस्त 1992 को एक किसान परिवार में हुआ था। शुरूआत में उनके भाई उपेंद्र ने उनकी ताकत को पहचाना और उन्हें इस खेल में जाने के लिए प्रेरित किया।