नई दिल्ली (मानवीय सोच) सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण पर पंजाब और हरियाणा कोर्ट के अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी है. दरअसल हरियाणा सरकार ने प्राइवेट नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था, जिसपर पंजाब और हरियाणा कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करके रोक लगा दी थी.
हाई कोर्ट को एक महीने के अंदर करना होगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट इस मामले पर एक महीने के अंदर फैसला करे और राज्य सरकार को निर्देश दे कि फिलहाल एम्प्लॉयर्स के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की जाए.
हरियाणा सरकार ने बनाया ये कानून
बता दें कि हरियाणा सरकार ने राज्य के लोगों को प्राइवेट सेक्टर की उन नौकरियों में जिनमें सैलरी 30 हजार रुपये से कम है, में 75 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया था. हरियाणा सरकार ने हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार अधिनियम 2020 पास किया था.
जान लें कि इस केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की.
हाई कोर्ट ने नहीं बताई थी वजह
भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हरियाणा सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में इस आधार पर हस्तक्षेप किया जाना चाहिए कि उसने कोई कारण नहीं बताया. हाई कोर्ट ने कानून पर रोक लगा दी जिसको लागू किया जा रहा था. हाई कोर्ट ने कानून की संवैधानिकता को नहीं देखा.
बेंच ने कहा, ‘हमारा मामले के गुण-दोष से निपटने का इरादा नहीं है और हम हाई कोर्ट से चार सप्ताह के भीतर फैसला लेने का अनुरोध करते हैं. पक्षकारों को स्थगन का अनुरोध नहीं करने और सुनवाई की तारीख तय करने के लिए कोर्ट के सामने मौजूद रहने का निर्देश दिया जाता है,’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हाई कोर्ट के जिस आदेश को चुनौती दी गई है, उसे खारिज किया जाता है क्योंकि कोर्ट ने कानून पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त कारण नहीं दिए.’
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में राज्य के निवासियों को 75 फीसदी आरक्षण देने संबंधी हरियाणा सरकार के कानून पर तीन फरवरी को अंतरिम रोक लगा दी थी. इस फैसले को हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
हाई कोर्ट ने फरीदाबाद के विभिन्न उद्योग संघों और गुरुग्राम सहित हरियाणा की कई अन्य संस्थाओं की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अंतरिम रोक का आदेश दिया था.