महराजगंज हिंसा में पुलिस की विभागीय कार्रवाई अभी जारी है। बीते दिनों सीओ, थानाध्यक्ष, चौकी इंचार्ज के निलंबन के बाद अब एसपी ने हरदी व रामगांव थाना में तैनात 29 मुख्य आरक्षियों व आरक्षियों को लाइन हाजिर कर दिया। पुलिस लाइन में तैनात आरक्षियों को उनके स्थान पर तैनाती दी गई है। महसी तहसील के हरदी थाना क्षेत्र के महराजगंज में 13 अक्तूबर को मूर्ति विसर्जन शोभायात्रा के दौरान हुई हिंसा में रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
इसके बाद 14 अक्तूबर को भड़की हिंसा में जनपद के कई स्थानों पर आगजनी और वाहनों में तोड़फोड़ की गई थी। हिंसा को लेकर सीओ महसी, थानाध्यक्ष व चौकी इंचार्ज को निलंबित करने के साथ ही तहसीलदार पर कार्रवाई हो चुकी है। इस बीच एसपी की जांच में लापरवाही मिलने पर रामगांव के 15 व हरदी थाना के 14 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया।
उनके स्थान पर पुलिस लाइन से हरदी थाना में 13 व रामगांव में 16 पुलिसकर्मियों को तैनाती दी गई है। हिंसा प्रभावित थानों में लंबे समय से तैनात और कार्य में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों को हटाया गया है। उनकी जगह पर लाइन से अन्य पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। महराजगंज कस्बे में प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान हुए रामगोपाल मिश्रा के बर्बरतापूर्ण हत्याकांड ने उनके पूरे परिवार की दीपावली की खुशियां छीन ली हैं। सबसे ज्यादा सदमा रामगोपाल की पत्नी रोली को लगा है। जिसने पहली दीपावली को लेकर कई सपने संजोए थे और पति के साथ दीपावली मनाने का ख्वाब देखा था।
रामगोपाल मिश्रा का पूरा परिवार घटना क्रम को उनके खुशियों की हत्या बता रहा है। महसी तहसील के रेहुवा मंसूर निवासी रामगोपाल मिश्रा की कुछ माह पहले ही रोली के साथ शादी हुई थी। शादी के बाद बूढ़े मां-बाप समेत पूरे परिवार में खुशी का माहौल था। सभी ने पहली दीपावली पर नए नवेले वैवाहिक जोड़े के साथ खुशियां साझा करने की तैयारी की थी। पत्नी रोली सबसे ज्यादा उत्साहित थी। वह ससुराल में पति व सास-ससुर के साथ पहली दीपावली मनाने के लिए पहले से ही नए-नए तरीके सोच रही थी, लेकिन नियती को कुछ और ही मंजूर था।
निष्ठुर नियति ने एक बूढ़े दंपत्ति 69 वर्षीय कैलाश नाथ मिश्रा व 64 वर्षीय मुन्नी देवी पर पहली बार दुख नहीं डाला है। दंपत्ति का दुखों से पुराना नाता रहा है। तीन बेटियां व चार बेटे के पिता कैलाश नाथ पर दुख-दर्द ने पहली दस्तक साल 1985 में दी थी। जब उनका बड़ा बेटा राम मिलन 10 वर्ष की आयु में तालाब में डूब गया था। इसके बाद साल 1987 में बड़ी बेटी सुमन की शादी की और 1996 में दूसरी बेटी किरन की हैदरगढ़ में शादी की, लेकिन चार साल बाद बेटी ने आत्महत्या कर ली। साल 2015 में दूसरे बेटे शिव मिलन की पत्नी रागिनी देवी ने घर में आग लगाकर जान दे दी। बहू की मौत से गम में डूबे उनके बेटे शिव मिलन ने साल 2017 में विषाक्त खाकर जान दे दी।