भारत में एक और बड़ी परियोजना तेलंगाना में आकार ले रही है, जिसका नाम है अलीमिनेती माधव रेड्डी एसएलबीसी सुरंग। यह सुरंग 44 किलोमीटर लंबी है, दुनिया की पहली पानी वाली सुरंग है। यह परियोजना में बुर्ज खलीफा और चिनाब रेल ब्रिज से भी अधिक स्टील का उपयोग हो रहा है। गुजरात की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जम्मू-कश्मीर के चिनाब रेल ब्रिज के बाद अब इस मेगा प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। यह सुरंग श्रीशैलम जिले की हरी भरी पहाड़ियों के नीचे बनाई जा रही है। यह कोई सामान्य रेल या सड़क सुरंग नहीं है, बल्कि एक जल सुरंग है, जो कृष्णा नदी पर बने श्रीशैलम जलाशय का पानी 44 किलोमीटर दूर बनकाचेरला क्रॉस तक पहुंचाएगी। इस परियोजना का उद्देश्य सूखा ग्रस्त चार जिलों के 543 गांवों की प्यास बुझाना है। यदि यह प्रोजेक्ट सफल होता है, तो यह हैदराबाद, बेंगलुरु जैसे शहरों में जल संकट के लिए एक वरदान साबित हो सकता है।
तीन विशेषताएं जो इसे अद्भुत बनाती हैं
इस मेगा प्रोजेक्ट को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि पानी बिना किसी बिजली के गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से 44 किलोमीटर दूर तक बह सके। सुरंग में केवल एंट्री और एग्जिट के द्वार हैं, और मजदूरों को ट्रॉली ट्रेन से लाया और ले जाया जाता है। प्रोजेक्ट का काम 2004 में शुरू हुआ था। अब तक 20 लाख मीट्रिक टन कंक्रीट का उपयोग किया जा चुका है और काम 80% पूरा हो चुका है। इसका उद्घाटन जून 2026 में होगा और लागत 4600 करोड़ रुपये होगी। इस परियोजना में 41700 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल होगा, जो कि दुनिया की सबसे ऊँची इमारत बुर्ज खलीफा से 2000 टन और दुनिया के सबसे ऊँचे चिनाब रेल ब्रिज से 11000 टन अधिक है। वर्तमान में इन 543 सूखा प्रभावित गांवों को नागार्जुन सागर से बिजली के माध्यम से पानी सप्लाई किया जाता है, जिसमें 300 करोड़ रुपये की बिजली खर्च होती है। नए प्रोजेक्ट से यह खर्च बचाया जाएगा।