उत्तर प्रदेश में हुए कई एनकाउंटर पर उठे सवाल के बाद इसे लेकर नई गाइडलाइंस जारी की गई है. यूपी के DGP ने मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार की तरफ से जारी दिशा-निर्देश के मुताबिक, एनकाउंटर के दौरान अगर कोई आरोपी चोटिल होता है या फिर उसकी जान चली जाती है तो शूटआउट साइट की वीडियोग्राफी करानी होगी. इसके साथ-साथ जिस जगह पर शूटआउट हुआ, वहां फॉरेंसिक टीम भी निरीक्षण करेगी. साथ ही एनकाउंटर में अपराधी की मौत हो जाती है तो दो डॉक्टरों का पैनल पोस्टमार्टम करेगा और उसकी भी वीडियोग्राफी अनिवार्य की गई है.
DGP की तरफ से जारी गाइडलाइंस में कहा गया है कि जिस जगह एनकाउंटर हुआ है उस इलाके की पुलिस जांच नहीं करेगी. दूसरे थाने की पुलिस या फिर क्राइम ब्रांच से उसकी जांच कराई जाएगी. DGP की तरफ से जारी गाइडलाइंस 5 सितंबर को हुई गोलीबारी को लेकर उठ रहे सवालों के बीच आए हैं, जिसमें जौनपुर निवासी मंगेश यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मंगेश यादव को सुल्तानपुर में एक आभूषण की दुकान में डकैती में शामिल माना जाता है. DGP की तरफ से जारी गाइडलाइंस में यह भी निर्देश दिए गए हैं कि एनकाउंटर में मारे गए बदमाश के परिजनों को तुरंत इसकी सूचना दी जाए.
साथ ही एनकाउंटर में इस्तेमाल किए गए हथियारों को तुरंत सरेंडर करना होगा, जिनकी जांच की जाएगी. DGP प्रशांत कुमार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) के समक्ष लंबित ऐसे मामलों का जल्द से जल्द निपटारा करने के लिए भी कहा है, ताकि उनसे संबंधित सभी प्रासंगिक रिकॉर्ड समय पर प्रस्तुत किए जा सकें. साथ ही इन मामलों का समय पर निपटारा सुनिश्चित करने के लिए एक सहायक पुलिस अधीक्षक को नोडल अधिकारी नामित किया जा सके. उन्होंने कहा कि एसएसपी और पुलिस आयुक्त मासिक आधार पर नोडल अधिकारियों की प्रगति की निगरानी करेंगे.