केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। सं-V-log नाम की इस कार्यशाला का उद्देश्य संस्कृत को वीलॉगिंग के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाना रहा। इस कार्यशाला में संस्कृत विश्वविद्यालय के 13 कैंपस के कुल 35 छात्रों का चयन किया गया था। चयनित छात्रों को संस्कृत में व्लॉग बनाने के लिए ट्रेन किया गया। 5 दिवसीय वर्कशाप में सिनेमा जगत के विभिन्न विशेषज्ञों ने छात्रों को प्रशिक्षण दिया। इसमें स्क्रीपटिंग से लेकर सेटअप और एडिटिंग तक सिखाई गई।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कैंपस डायरेक्टर प्रो. सर्वनारायण झा ने बताया कि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए भारत में प्रसिद्ध है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी के मार्ग दर्शन और निर्देशन में पहली बार संस्कृत में वीलॉग कार्यशाला का आयोजन किया गया। हमारी हमेशा से ही कोशिश रहती है कि संस्कृत को लोगों तक पहुंचाया जाए।प्रो. सर्वनारायण झा ने बताया कि इस कार्यशाला में प्रशिक्षणार्थी को विडीयो एडिटिंग, सामग्री लेखन, संस्कृत भाषा संभाषण, सौन्दर्य शास्त्र, सांस्कृतिक महत्व, फोटोग्राफी, संस्कृत सामग्री इत्यादि का प्रशिक्षण दिया गया।
चौथे और पांचवें दिन सांस्कृतिक एवं पर्यटन स्थलों पर प्रतिभागीयों द्वारा संस्कृत वीडियो लॉग निर्माण किया गया। जहां उन्हें काफी कुछ नया सीखने को मिला। डायरेक्टर और नेशनल अवॉर्ड विनर दिनेश यश यावद ने बताया कि संस्कृत में वीलॉग काफी अलग है। यह एक ऐसी विधा है कि जिसमें कोई भी काम नहीं कर रहा है। ऐसे में जब छात्र इसमें आगे बढ़ेगे और काम करेंगे तो एक नया स्वरूप आगे आएगा। वहीं छात्रों में बहुत कुछ सीखने की ललक है और यही चीज इंसान को आगे बढ़ाती है। आज के समय में हर किसी के पास मोबाइल है लेकिन अगर उसका सही से उपयोग किया जाए तो काफी कुछ सीखने को मिलेगा। संस्कृत को आगे बढ़ाने के लिए जो कदम उठाया जा रहा है यह काफी सराहनीय है।