लखनऊ : (मानवीय सोच) कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ को राष्ट्र से ऊपर रखकर इस देश को विभाजन की त्रासदी की ओर ढकेला था। ये केवल राजनीतिक या जमीन के टुकड़ों का विभाजन नहीं था, बल्कि ये मानवता के दो दिलों के विभाजन का एक त्रासदीपूर्ण निर्णय था, जिसकी कीमत आज के ही दिन 1947 में लाखों लोगों को चुकानी पड़ी थी। इतिहास को विस्मृत करके कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता, इसीलिए आज हमारा संकल्प होना चाहिए कि मेरा व्यक्तिगत स्वार्थ, मेरे परिवार, मेरी जाति, मेरे मत, मजहब, क्षेत्र और भाषा का स्वार्थ कभी भी मेरे राष्ट्र से ऊपर नहीं हो सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आश्चर्य होता है जब 1947 में देश का विभाजन होना ही था तो फिर पाकिस्तान और बांगलादेश से भारत में आज भी घुसपैठ क्यों हो रही है। अगर उन्हें पाकिस्तान ही उतना प्यारा था तो उन्हें उस पाकिस्तान की समृद्धि और मानवता के कल्याण और समृद्धि के लिए वहीं से नया संदेश पूरी दुनिया को देना चाहिए था। मगर उन्होंने इतिहास से सबक नहीं सीखा। परिणाम सबके सामने है।