उत्तर प्रदेश : (मानवीय सोच) ग्रेटर नोएडा में स्थित एक मिशनरी स्कूल ने कक्षा-2 में पढ़ रहे मासूम को सिर्फ इसलिए निकाल दिया क्योंकि वो फर्राटेदार इंग्लिश नहीं बोल पाया. हालांकि दाखिले के दौरान बच्चे ने स्कूल का लिखित टेस्ट पास कर काउंसलिंग का भी राउंड क्लियर किया था. इसके बाद ही उसे दाखिला मिला था खबर फैली तो काफी पैरेंट्स ने इसका विरोध भी किया. कहा कि जिस देश की राष्ट्रभाषा हिंदी है, वहां अंग्रेजी भाषा को इतनी तवज्जो क्यों?
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गाजियाबाद निवासी एक महिला ने बीते दिनों कासना स्थित एक इंटर कॉलेज में शिक्षिका के रूप में पदभार ग्रहण किया था शिक्षिका के पति गाजियाबाद की एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं. ग्रेटर नोएडा में पत्नी की जॉब मिलने पर परिवार यहीं आकर रहने लगा उन्होंने अपने सात वर्षीय बेटे का अल्फा-2 स्थित एक मिशनरी स्कूल में दाखिले के लिए आवेदन किया. टेस्ट के बाद काउंसलिंग में बच्चे से अंग्रेजी में रीडिंग भी कराई गई