लखनऊ : (मानवीय सोच) मूल आवंटी पर बकाया दिखाकर पहले उसका आवंटन निरस्त किया और फिर उसी भूखंड का आवंटन हाईकोर्ट के जज की पुत्री को कर दिया। राज्य उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण को आदेश दिया है कि वह मूल आवंटी को कब्जामुक्त कराकर भूखंड लौटाए।
ऐसा न करने पर एक करोड़ रुपये आवंटी को ब्याज सहित अदा करे। इसके अलावा फर्जी क्रियाकलाप और धोखाधड़ी में भी वादी को 30 लाख रुपये अलग से हर्जाना अदा करने के आदेश दिए गए हैं। इस आदेश की प्रति को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव के सामने रखने तथा न्यायालय को भी अवगत कराने को कहा है। आयोग ने माना कि एलडीए ने इस मामले में हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश को अनुग्रहीत किया।
लखनऊ विकास प्राधिकरण में स्थानीय निवासी प्रदीप कुमार टंडन ने एक भूखंड 16 मई 1985 को आवंटित कराया था। उनकी मृत्यु के बाद यह भूखंड उनकी पत्नी ऊषा प्रदीप को आवंटित हुआ। उनकी भी मृत्यु होने पर यह रिद्धि टंडन और सिद्धि टंडन के नाम आवंटित हो गया। इस मामले में पाया गया कि ऊषा प्रदीप ने इस भूखंड की धनराशि वर्ष 1996 और 1997 में जमा कर दी थी।