चौक स्थित कोनेश्वर मंदिर शहर का एक ऐसा मंदिर है जहां रुद्राभिषेक में यजुर्वेद के 40 अध्याय पढ़े जाते हैं। इस रुद्राभिषेक में पूरा एक महीना लगता है। कोनेश्वर महादेव मंदिर में गुरु पूर्णिमा से चालू हुआ रुद्राभिषेक रोजाना शाम 7:30 से शुरु होकर रात के 11 बजे तक चलता है। यह रक्षा बंधन तक चलेगा। इसमें पूरी संहिता पढ़ी जाती है। अन्य रुद्राभिषेक में रुद्राष्ट्राध्यायी, शतरुद्रीय पढ़े दिए जाते हैं। शहर में कर्मकांडियों का एक ऐसा पूजा मंडल मौजूद हैं जो रुद्राभिषेक में यजुर्वेद के 40 अध्याय करवाता है।
विजय प्रदोष मंडल 112 वर्ष पुराना मंडल है। जिसमें कुल 25 आचार्य हैं। इस मंडल के पास शहर की सबसे ज्यादा पूजा के ऑर्डर आते हैं। ये सभी 25 आचार्य एक साथ प्रदोष पूजा, रुद्राभिषेक पूजा,शिवमहिम, रामास्थमा, मंगलसुख करवाते हैं। जब इस मंडल की शुरुआत हुई थी तब इसमें कुल 7 पंडित थे। इस मंडल की शुरुआत नरायण प्रसाद जिंगरन ने किया था। मंडल से वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिनेश कुमार जिंगरन बताते हैं कि जब इस मंडल की शुरुआत हुई थी तब रामाधीन शास्त्री लालटेन जलाकर कोनेश्वर मंदिर की पूजा किया करते थे। धीरे-धीरे कांरवा बढ़ा और यहां तक पहुंच गया।