कोर्ट ने जाली नोट छापने वाले को 10 साल की जेल की सजा सुनाई

लखनऊ  (मानवीय सोच)  प्रिंटर मशीन से जाली नोट छापने वाले मो. माज को कोर्ट ने दोषी ठहराया है। एडीजे पवन राय ने उसे 10 वर्ष कारावास और 50 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। इसी मामले में सप्लायर मो. सरताज को आठ वर्ष कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है। अदालत ने कहा कि दोषियों का जिला कारागार में बिताया गया समय सजा की अवधि में समायोजित होगा।

सरकारी वकील प्रतिभा राय ने कोर्ट को बताया कि वजीरगंज पुलिस ने मुखबिर की मदद से एक फरवरी 2005 को कैसरबाग स्टैंड के गेट से सरताज को गिरफ्तार किया था। तलाशी के दौरान उससे 15 हजार रुपये के जाली नोट बरामद हुए थे। उसके बयान के आधार पर पुलिस ने मौलवीगंज के चिकमंडी निवासी मो. माज को घर से प्रिंटर मशीन से जाली नोट तैयार करते वक्त गिरफ्तार किया था।

पुलिस ने उससे 500, 100 व 50 रुपये के जाली नोट बरामद किए थे। मो. सरताज ने कुबूला था कि असली 200 रुपये के नोट देने पर माज उसे एक हजार के जाली नोट देता था। इन नोटों को सीतापुर और हरदोई समेत अन्य जिलों में चलाया जाता था।

जाली नोट के दो तस्करों को तीन साल तीन माह की कैद
बांग्लादेश के रास्ते जाली नोट लाकर देश में खपाने वाले जियाउल हक और अब्दुल सलाम उर्फ  मिथुन को दोषी ठहराकर एनआईए के विशेष न्यायाधीश मो. गजाली ने तीन साल तीन माह की कैद और 10-10 हजार के जुर्माने से दंडित किया है। सुनवाई के दौरान दोनों ने जुर्म स्वीकारा था।

कोर्ट में सरकारी वकील एमके सिंह ने कहा कि एसटीएफ  ने 24 अगस्त 2018 को डालीगंज रेलवे क्रॉसिंग के पास से शिवभजन को 2000 रुपये के 153 जाली नोट, कुलदीप गुप्ता को 2000 के 27 जाली नोट, गुरुदेव उर्फ  विवेक राजपूत को 2000 के 25 जाली नोट और रजनीश यादव को 2000 के 25 जाली नोट के साथ गिरफ्तार किया था।

विवेचना के दौरान इन्होंने कुबूला कि घटना में जियाउल हक और अब्दुल सलाम भी शामिल थे। जियाउल बांग्लादेश के लोगों से जाली नोट लेकर अब्दुल सलाम को देता था, जो अन्य लोगों को इसकी सप्लाई करता था। 

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