प्रयागराज (मानवीय सोच) गर्ल्स हॉस्टल के बाथरूम में स्पाई कैमरा लगाने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस मामले को कोर्ट में मेंशन कर स्वत: संज्ञान लेकर लड़कियों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन तय करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है। उधर पुलिस ने मामले में गिरफ्तार आशीष खरे का मोबाइल, कंप्यूटर हार्ड डिस्क और डीवीआर जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा है। मोबाइल और हार्ड डिस्क के बैकअप से पता चलेगा कि मोबाइल में पहले की कोई रिकार्डिंग तो नहीं है। इसे एप से कहीं भेजा तो नहीं गया। इसी आधार पर विवेचना आगे बढ़ेगी। गर्ल्स हॉस्टल के बाथरूम में स्पाई कैमरा लगवाने वाले आशीष खरे, फैयाज को रविवार को पुलिस ने जेल भेजा था।
कोर्ट में न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह ने सपा नेत्री और इविवि छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह के मेंशन को ध्यानपूर्वक सुना। विभिन्न अर्जियों की सुनवाई के दौरान ऋचा सिंह ने कोर्ट का ध्यान गर्ल्स हॉस्टल के बाथरूम में शावर में मिले स्पाई कैमरे और उसके बाद के घटनाक्रम पर आकृष्ट कराया और इस पर स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया। साथ ही घर के बाहर निकलकर दूसरे शहरों में गर्ल्स हॉस्टलों और पीजी में रह रही लड़कियों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
67 लड़कियों को कॉल करने पर गिरफ्तारी
आशीष खरे जैसे कई शोहदे 1090 की मदद से पहले पकड़े जा चुके है। यह बात अलग है कि आशीष पर शिकंजा तब कसा जब उसके गर्ल्स हॉस्टल के बाथरूम में स्पाई कैमरा मिला और उसे फौरन जमानत मिलने पर सवाल उठे। लड़कियों को परेशान करने वाला बड़ा शोहदा मुंडेरा का विनोद श्रीवास्तव (विक्की) था। उसने 10 जिले में 67 लड़कियों को परेशान किया था। उस पर लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, बलिया, सीतापुर, उन्नाव, बाराबंकी,रायबरेली, सुलतानपुर, एटा, इटावा, फर्रुखाबाद, बनारस, गोंडा, गोरखपुर, गाजीपुर, झांसी, जालौन, आजमगढ़ आदि में शिकायतें दर्ज थीं।
एक किस्म का मनोरोग है ये
दर्जनों लड़कियों को कॉल करना। उनसे अश्लील बातें करना। यह कोई सामान्य बात नहीं है। मनोवैज्ञानिकों की नजर में यह मनोरोग है। ऐसे लोगों की पहचान के बाद पुलिस को इनका इलाज भी करना चाहिए। महिला छात्रावास में स्पाई कैमरा लगाकर उसकी रिकार्डिंग देखना और लड़कियों को कॉल करके अश्लील मैसेज भेजने वाले आशीष खरे को पुलिस अब जेल भेज चुकी है।
मिलने लगती है आत्मसंतुष्टि
मनोविज्ञान में इस मनोरोग को पैराफीलिया कहते हैं। ऐसे लोग आमजनों के बीच रहते हैं लेकिन इनकी पहचान आसान नहीं होती। दरअसल, हर शख्स में कुछ इच्छाएं जागृत होती हैं। मनोविज्ञान की भाषा में इड, इगो और सुपरइडो होता है। इड का मतलब कोई काम करने के लिए प्रोत्साहित करने से है। जिस पर सुपरइडो का कंट्रोल होता है, वह कोई गलत काम नहीं कर पाता। कई बार कुछ लोगों में सुपरइडो पर इडो हाबी हो जाता है। इसलिए वह गलत काम बिना सोचे करने लगते हैं। इस तरह के लोगों की सेक्सुअल इच्छाएं फोन कॉल या मैसेज करने से संतुष्ट हो जाती हैं। इसलिए बार-बार वे ऐसा करते हैं।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए जारी हो गाइडलाइन
इविवि की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष डॉ. ऋचा सिंह ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन जारी करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि महिला छात्रावास के बाथरूम में कैमरा लगाने वाले आशीष खरे के खिलाफ पुलिस ने पहले ही संगीन धाराओं में कार्रवाई की होती तो यह नौबत नहीं आती। एक पीड़िता ने दोबारा केस दर्ज कराया। अब ज़रूरत है आगे की कार्रवाई करने की। गर्ल्स हॉस्टल सेफ्टी की गाइडलाइन बने।