दो साल बाद दिखा होली का पहले जैसा उल्लास

वाराणसी (मानवीय सोच) कोरोना के चलते फीका पड़ा होली का रंग और उत्साह दो साल बाद फिर अपने पुराने अंदाज में दिखाई दिया। यूपी के हर जिले में होली का उल्लास और रौनक दिखाई दी। बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सभी रंगो के त्योहार की खुशियों में डूबते उतराते नजर आए।

काशी में होली के हुड़दंग का अलग ही रंग दिखाई दिया। कालोनियों, मुहल्लों से लेकर गंगा घाट तक लोग रंगों में सराबोर होकर नाचते गाते नजर आए। एक दिन पहले ही सभी तरह की पाबंदियां हटीं और स्विमिंग पुल भी खुलने से वहां भी रंगोत्सव का उल्लास नजर आया।

शहरों और गांवों में लोग चंग की थाप पर फाग के गीत गाते रहे वहीं अलग अलग टोलियों में पुरुष, महिला एवं बच्चे हाथों में रंग लिये और एक दूसरे को लगाते नजर आए वहीं ढोल एवं चंग की थाप पर नाचते गाते रहे और होली का जश्न उल्लास के साथ मनाया। इस दौरान लोग एक दूसरे को गले लगाकर एवं गुलाल लगाकर होली की बधाई दी। इस दौरान लोगों ने घरों में होली के गीत बजाकर नाचते नजर आए।

वाराणसी के साथ ही अयोध्या और मथुरा समेत समूचे उत्तर प्रदेश में रंगों का त्योहार होली शुक्रवार को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ ने गोरखपुर में तो समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने गृहनगर सैफई में होली का त्योहार मनाई।

गोरखपुर और इटावा में सैफई विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे। गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ ने गोरक्षनाथ मंदिर में लोगों को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनायें दी वहीं सैफई में मुलायम सिंह यादव ने पूरे परिवार के साथ मिल कर फूलों की होली खेली।

मथुरा में मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अपने आवास पर होली खेली और जमकर थिरके वहीं लखनऊ में डा दिनेश शर्मा ऐतिहासिक होली बारात में शामिल हुये। पिछले करीब एक सप्ताह से होली की खुमारी में डूबी कान्हा नगरी मथुरा में आज होली का त्योहार पूरे शवाब पर दिखायी पड़ा। वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में विशेष तौर पर होली उत्सव मनाया गया वहीं वाराणसी में तंग गलियों से लेकर गंगा के घाटों तक होली का जश्न जम कर मनाया गया।

संगम नगरी प्रयागराज में दिन चढ़ने के साथ युवाओं की टोली पिचकारी और गुलाल के साथ सड़कों पर नजर आयी वहीं दोपहर बाद संगम में डुबकी लगाने वालों से त्रिवेणी के तट गुलजार हो गये। उन्होंने कहा कि भाजपा की जीत से तो होली का उत्साह और भी बढ़ गया है।  कानपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, बरेली, देवरिया, बस्ती समेत राज्य के अधिसंख्य इलाकों में रंगों का त्योहार पूरे हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। इस दौरान फिलहाल कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।

होलिका दहन से पहले ही होलियाना हल्ला शुरू हो गया था। मोहल्ले-मोहल्ले होलिका लगाने का जिम्मा निभाने वाले होलिहारों की टोलियों ने माहौल बनाना शुरू कर दिया था। वहीं बाजार में खरीदार सुबह से रात तक उमड़े रहे। सबके हाव भाव में एक निश्चिंतता थी। कोरोना का भय दूर-दूर तक नदारद था।

गोझिया, पुआ, नारियल के लड्डू, बालूशाही, सकरपारा, नमकीन सेव घर में ही बनाए गए। खास बात तो यह है कि जिन घरों में त्योहारों पर रेडिमेड का चलन बढ़ गया था, इस बार उन परिवारों में भी महिलाएं और बच्चियां त्योहारी पकवान और मिठाइयां घर में बनाते नजर आए थे। पापड़ और चिप्स तो खासतौर से पहले ही बना लिए गए थे।

इस बदलाव के पीछे कोरोना से मुक्ति का उल्लास है जो होली के बहाने अभिव्यक्त हो रहा है। लोग इस बात से रोमांचित हैं कि दो साल बाद होली की शाम उनका घर मेहमानों से गुलजार होगा। पहले की तरह अबीर गुलाल से बैठके की कालीन लाल-पीली हो जाएगी। ठंडई-मिठाई का दौर चलेगा। चुटिले व्यंग्य पर ठहाके दर ठहाके लगेंगे। त्योहार के पुराने स्वरूप में लौटने के एहसास ने लोगों के उत्साह में और भी इजाफा किया है।

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