देहरादून (मानवीय सोच) मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में बनी नई सरकार के सभी आठ मंत्री करोड़पति हैं। इनमें पांच मंत्रियों की संपत्ति मुख्यमंत्री से ज्यादा है। करोड़पति मंत्रियों से राज्य को भी बड़ी उम्मीदें हैं। खासतौर पर यहां गरीबी, बेरोजगारी, महिलाओं की स्थिति और उत्तराखंड की खराब आर्थिक स्थिति जैसी चुनौतियों का पहाड़ हैं।
क्या करोड़पति मंत्री राज्य की गरीबी दूर करने के लिए कुछ कर पाएंगे? करोड़पति कैबिनेट के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य के आर्थिक हालात सुधारने की है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 10802 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा रहा था। जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में 12754 करोड़ रुपये के सरकार के राजस्व के साथ सरप्लस बजट का अनुमान है।
हालांकि इस तरह के पूर्व के अनुमानों पर राज्य कभी खरा नहीं उतर पाया और उसे राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ता गया। बेहतर पोषण के लिए सरकार पर निर्भरता: राज्य में भाजपा की वापसी में मुफ्त राशन बड़ा फैक्टर रहा है। असल में राज्य की 71.94 लाख की आबादी सरकारी खाद्यान्न ले रही है।
वर्ष 2013 में संसद में पारित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत उत्तराखंड में उचित पोषण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 61.94 लाख लोगों को इस योजना से जोड़ा गया। बाद में 10 लाख लोगों को राज्य खाद्य सुरक्षा योजना से जोड़ा गया। इस वक्त राज्य की 2022 में अनुमानित जनसंख्या 1.17 करोड़ है।
बेरोजगारी में उत्तराखंड का 15वां स्थान : सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड ने गत फरवरी में बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक दिसंबर और जनवरी में उत्तराखंड में बेरोजगारी दर 3.5 प्रतिशत से बढ़कर 4.7 प्रतिशत हो गई है। 26 राज्यों की बेरोजगारी दर की सूची में उत्तराखंड का 15वां स्थान है।
बच्चे और महिलाओं की खराब सेहत : नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2021 के मुताबिक उत्तराखंड में पांच साल तक के 59.8 प्रतिशत बच्चे खून की कमी यानी एनीमिया की बीमारी से ग्रसित हैं। 15 से 49 आयु वर्ग की 46.5 फीसदी लड़कियां और महिलाएं एनिमिया से पीड़ति हैं। जबकि 15-19 आयु वर्ग में 20 प्रतिशत किशोर और 42.4 प्रतिशत किशोरियां खून की कमी बीमारी से ग्रसित हैं।
प्रति व्यक्ति आय: राज्य में 2019 में प्रति व्यक्ति आय 1,82,320 रुपये थी, जो 2020 में 1,98,738 रुपये और 2021 में 2,02,895 रुपये हुई है पर महंगाई और कोरोना की मार के बीच यह मामूली वृद्धि संतोषजनक नहीं है।
किसके पास कितनी संपत्ति
पुष्कर सिंह धामी 3.34
सतपाल महाराज 87.34
रेखा आर्य 25.20
गणेश जोशी 9.74
सौरभ बहुगुणा 7.85
प्रेमचंद अग्रवाल 5.03
डॉ.धन सिंह रावत 2.67
सुबोध उनियाल 1.61
चंदनराम दास 1.24 (आंकड़े करोड़ रुपये में)
पांच किलो मुफ्त राशन से चुनाव की नतीजे तय हो रहे हैं, तो समझ सकते हैं कि अभी तक आम लोग बुनियादी और जीवन
गुजर करने की पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं जुटा पा रहे हैं। यह बेहतर शासन का उदाहरण है कि सरकार ने लोगों की दिक्कतें समझीं और उन्हें राशन मुफ्त दिया। लेकिन बेहतर सुशासन के लिए हमें एक बेहतर मॉडल बनाना होगा। सिर्फ पांच किलो अनाज से विकास नहीं हो सकता। सरकार को व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा।