उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन का जो रवैया तीन दशक पहले था, वही आज भी है। गिरते राजस्व की ओर नजर दौड़ाएं तो उसके पीछे का कारण यही है कि बसों की व्यवस्था ठीक नहीं है, जिसके चलते लोगों का भरोसा प्राइवेट बसों पर अधिक हो रहा है। जरा सोचिए, इतनी बारिश हो रही है और रोडवेज की बस में वाइपर नहीं हो तो चालक कैसे बस चलाएगा। ऐसे में हादसों की आशका है। चालक बस के मुख्य शीशे पर नींबू रगड़ देते हैं ताकि बारिश का पानी शीशे से फिसल जाए। मूसलाधार बारिश में ये फार्मूला भी फेल हो जाता है और चालक रामभरोसे चलता है। रविवार को शहीद मेजर सलमान खान अंतर्राज्यीय झकरकटी बस अड्डे पर अमृत विचार संवाददाता ने दोपहर एक बजे बसों की हालत देखी। बस अड्डे पर महोबा डिपो की बस यूपी 95 टी 9659 जाने को तैयार थी लेकिन इस के मुख्य शीशे पर वाइपर नहीं था। चालक ने कहा कि वाइपर टूट गया है, हालांकि चालक की बात सच नहीं है क्योंकि बस में वाइपर लगाने की कोई व्यवस्था ही नहीं थी। इसका मतलब है कि इस बस में वाइपर लगा ही नहीं है। ऐसे ही महोबा डिपो की ही दूसरी बस खड़ी थी। इस बस में भी वाइपर नहीं था।